August 26, 2017

कंचन : बेटी बहन भाभी से बहू तक का सफ़र - 01

मैं बचपन से ही बहुत सुंदर थी. मेरा एक छोटा भाई है, विकी. विकी मुझ से दो साल छोटा है. विकी भी लंबा तगड़ा जवान है. मेरी छातियाँ भर आई थी. बगल में और टाँगों के बीच में काफ़ी बाल निकलने लगे थे. 18 साल तक पहुँचते पहुँचते तो मैं मानो पूरी जवान लगने लगी थी. गली में और बाज़ार में लड़के आवाज़ें कसने लगे थे. ब्रा की ज़रूरत तो पहले से ही पद गयी थी. 18साल में साइज़ 34 इंच हो गया था. अब तो टाँगों के बीच में बाल बहुत ही घने और लंबे हो गये थे. हालाँकि कमर काफ़ी पतली थी लेकिन मेरे नितंब काफ़ी भारी और चौड़े हो गये थे. मुझे अहसास होता जा रहा था कि लड़कों को मेरी दो चीज़ें बहुत आकर्षित करती हैं – मेरे नितंब और मेरी उभरी हुई छातियाँ. स्कूल में मेरी बहुत सी सहेलियों के चक्कर थे, लेकिन मैं कभी इस लाफदे में नहीं पड़ी. स्कूल से ही मेरे पीछे बहुत से लड़के दीवाने थे. लड़कों को और भी ज़्यादा तड़पाने में मुझे बड़ा मज़ा आता था. स्कूल में सिर्फ़ घुटनों से नीचे तक की स्कर्ट ही अलोड थी. क्लास में बैठ कर मैं अपनी स्कर्ट जांघों तक चढ़ा लेती थी और लड़कों को अपनी गोरी गोरी सुडोल मांसल टाँगों के दर्शन कराती. केयी लड़के जान बूझ कर अपना पेन या पेन्सिल नीचे गिरा कर, उठाने के बहाने मेरी टाँगों के बीच में झाँक कर मेरी पॅंटी की झलक पाने की नाकामयाब कोशिश करते.

19 साल की उम्र में तो मेरा बदन पूरी तरह से भर गया था. अब तो अपनी जवानी को कपड़ों में समेटना मुश्किल होता जा रहा था. छातियों का साइज़ 36 इंच हो गया था.मेरे नितुंबों को संभालना मेरी पॅंटी के बस में नहीं रहा. और तो और टाँगों के बीच में बाल इतने घने और लंबे हो गये कि दोनो तरफ से पॅंटी के बाहर निकलने लगे थे. ऐसी उल्हड़ जवानी किसी पर भी कहर बरसा सकती थी. मेरा छोटा भाई विकी भी जवान हो रहा था, लेकिन आप जानते हैं लड़कियाँ जल्दी जवान हो जाती हैं. हम दोनो एक ही स्कूल में पढ़ते थे. हम दोनो भाई बेहन में बहुत प्यार था. कभी कभी मुझे महसूस होता कि विकी भी मुझे अक्सर और लड़कों की तरह देखता है.

लेकिन मैं यह विचार मन से निकाल देती. लड़कों की ओर मेरा भी आकर्षण बढ़ता जा रहा था, लेकिन मैं लड़कों को तडपा कर ही खुश हो जाती थी.

मेरी एक सहेली थी नीलम. उसका कॉलेज के लड़के, सुधीर के साथ चक्कर था. वो अक्सर अपने इश्क़ की रसीली कहानियाँ सुनाया करती थी. उसकी कहानियाँ सुन कर मेरे बदन में भी आग लग जाती. नीलम और सुधीर के बीच में शारीरिक संबंध भी थे. नीलम ने ही मुझे बताया था कि लड़कों के गुप्तांगों को लंड या लॉडा और लड़कियो के गुप्तांगों को चूत कहते हैं. जब लड़के का लंड लड़की की चूत में जाता है तो उसे चोदना कहते हैं. नीलम ने ही बताया की जब लड़के उत्तेजित होते हैं तो उनका लंड और भी लंबा मोटा और सख़्त हो जाता है जिसको लंड का खड़ा होना बोलते हैं. 16 साल की उम्र तक मुझे ऐसे शब्दों का पता नहीं था. अभी तक ऐसे शब्द मुँह से निकालते हुए मुझे शर्म आती है पर लिखने में संकोच कैसा? हालाँकि मैने बच्चों की नूनियाँ बहुत देखी थी पर आज तक किसी मर्द का लंड नहीं देखा था. नीलम के मुँह से सुधीर के लंड का वर्णन सुन कर मेरी चूत भी गीली हो जाती. सुधीर नीलम को हफ्ते में तीन चार बार चोद्ता था. एक बार मैं सुधीर और नीलम के साथ स्कूल से भाग कर पिक्चर देखने गये. पिक्चर हॉल में नीलम हम दोनो के बीच में बैठी थी. लाइट ऑफ हुई और पिक्चर शुरू हुई. कुच्छ देर बाद मुझे ऐसा लगा मानो मैने नीलम के मुँह से सिसकी की आवाज़ सुनी हो. मैने कन्खिओ से नीलम की ओर देखा. रोशनी कम होने के कारण साफ तो दिखाई नहीं दे रहा था पर जो कुच्छ दिखा उसेदेख कर मैं डांग रह गयी. नीलम की स्कर्ट जांघों तक उठी हुई थी और सुधीर का हाथ नीलम की टाँगों के बीच में था. सुधीर की पॅंट के बटन खुले हुए थे और नीलम सुधीर के लंड को सहला रही थी. अंधेरे में मुझे सुधीर के लंड का साइज़ तो पता नहीं लगा लेकिन जिस तरह नीलम उस पर हाथ फेर रही थी, उससे लगता था की काफ़ी बड़ा होगा. सुधीर का हाथ नीलम की टाँगों के बीच में क्या कर रहा होगा ये सोच सोच कर मेरी चूत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी और पॅंटी को भी गीला कर रही थी. इंटर्वल में हम लोग बाहर कोल्ड ड्रिंक पीने गये. नीलम का चेहरा उत्तेजना से लाल हो गया था. सुधीर की पॅंट में भी लंड का उभार सॉफ नज़र आ रहा था. सुधीर ने मुझे अपने लंड के उभार की ओर देखते हुए पकड़ लिया. मेरी नज़रें उसकी नज़रें से मिली और मैं मारे शर्म के लाल हो गयी. सुधीर मुस्कुरा दिया. किसी तरह इंटर्वल ख़तम हुआ और मैने चैन की साँस ली. पिक्चर शुरू होते ही नीलम का हाथ फिर से सुधीर के लंड पे पहुँच गया. लेकिन सुधीर ने अपना हाथ नीलम के कंधों पर रख लिया. नीलम के मुँह से सिसकी की आवाज़ सुन कर मैं समझ गयी की अब वो नीलम की चूचियाँ दबा रहा था. अचानक सुधीर का हाथ मुझे टच करने लगा. मैने सोचा ग़लती से लग गया होगा. लेकिन धीरे धीरे वो मेरी पीठ सहलाने लगा और मेरी ब्रा के ऊपर हाथ फेरने लगा. नीलम इससे बिल्कुल बेख़बर थी. मैं मारे डरके पसीना पसीना हो गयी और हिल ना सकी. अब सुधीर का साहस और बढ़ गया और उसने साइड से हाथ डाल कर मेरी उभरी हुई चूची को शर्ट के ऊपर से पकड़ कर दबा दिया. मैं बिल्कुल बेबुस थी. उठ कर चली जाती तो नीलम को पता लग जाता. हिम्मत मानो जबाब दे चुकी थी. सुधीर ने इसका पूरा फ़ायदा उठाया. वो धीरे धीरे मेरी चूची सहलाने लगा. इतने में नीलम मुझसे बोली,“ कंचन पेशाब लगी है ज़रा बाथरूम जा कर आती हूँ.” मेरा कलेजा तो धक से रह गया. जैसे ही नीलम गयी सुधीर ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया. मैने एकदम से हड़बड़ा के हाथ खींचने की कोशिश की, लेकिन सुधीर ने मेरा हाथ कस कर पकड़ रखा था. लंड काफ़ी गरम, मोटा और लोहे के समान सख़्त था. मैं रुनासि होके बोली

“ सुधीर ये क्या कर रहे हो ? छोड़ो मुझे, नहीं तो नीलम को बता दूँगी.” सुधीर मंजा हुआ खिलाड़ी था, बोला,

“ मेरी जान तुम पर तो मैं मरता हूँ. तुमने मेरी रातों की नींद चुरा ली है. मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ.” यह कह कर वो मेरा हाथ अपने लंड पर रगड़ता रहा.

“ सुधीर तुम नीलम को धोका दे रहे हो. वो बेचारी तुमसे शादी करना चाहती है और तुम दूसरी लड़कियो के पीछे पड़े हो.”

“ कंचन मेरी जान तुम दूसरी कहाँ, मेरी हो. नीलम से दोस्ती तो मैने तुम्हें पाने के लिए की थी.”

“ झूट ! नीलम तो अपना सूब कुच्छ तुम्हें सौंप चुकी है. तुम्हें शर्म आनी चाहिए उस बेचारी को धोका देते हुए. प्लीज़ मेरा हाथ छोड़ो.”

इतने में नीलम वापस आ गयी. सुधीर ने झट से मेरा हाथ छोड़ दिया. मेरी लाचारी का फायेदा उठाने के कारण मैं बहुत गुस्से में थी, लेकिन ज़िंदगी में पहली बार किसी मर्द के खड़े लंड को हाथ लगाने के अनुभव से खुश भी थी. नीलम के बैठने के बाद सुधीर ने फिर से अपना हाथ उसके कंधे पर रख दिया. नीलम ने उसका हाथ अपने कंधों से हटा कर अपनी टाँगों के बीच में रख दिया और सुधीर के लंड को फिर से सहलाने लगी. सुधीर भी नीलम की स्कर्ट में हाथ डाल कर उसकी चूत सहलाने लगा. जैसे ही नीलम ने ज़ोर की सिसकी ली मैं समझ गयी कि सुधीर ने अपनी उंगली उसकी चूत में घुसा दी है.

इस घटना के बाद मैने सुधीर से बिल्कुल बात करना बंद कर दिया. लेकिन अब सुधीर मेरे घर के चक्कर लगाने लगा और मेरे भाई विकी से भी दोस्ती कर ली. वो विकी से मिलने के बहाने घर आने लगा लेकिन मैने उसे कभी लिफ्ट नहीं दी. कुच्छ दिनों के बाद हमने अपना घर बदल लिया. सुधीर यहाँ भी आने लगा. मेरे कमरे के बाहर खुला मैदान था. लोग अक्सर मेरी खिड़की के नज़दीक पेशाब करने खड़े हो जाया करते थे. मेरी तो मानो मन की मुराद ही पूरी हो गयी. मैं रोज़ खिड़की के पीछे से लोगों को पेशाब करते देखती. दिन में कम से कम 10 से 15 लोगों के लंड के दर्शन हो जाते थे. मुझे काफ़ी निराशा होने लगी क्योंकि किसी भी आदमी का लंड 2 से 3 इंच लंबा नहीं था. सभी लंड सिकुदे हुए और भद्दे से लगते थे. किसी का भी लंड देखने लायक नहीं था. नीलम ने मुझे हिन्दी की सेक्स की कहानियों की राज शर्मा की एक साइट बताई. उसमे कहानियो के साथ साथ 8 इंच या 10 इंच के लंड का वर्णन था. यहाँ तक कि एक कहानी में तो एक फुट लंबे लंड का भी जीकर था. केयी दिन इंतज़ार करने के बाद मेरी मनो कामना पूरी हुई. एक दिन मैं और नीलम मेरे कमरे में पढ़ रहे थे कि नीलम की नज़र खिड़की के बाहर गयी. उसने मुझे कोहनी मार के बाहर देखने का इशारा किया. खिड़की के बिकुल नज़दीक ही एक लंबा तगड़ा साधु खड़ा इधेर उधेर देख रहा था. अचानक साधु ने अपना तहमद पेशाब करने के लिए ऊपर उठाया. मेरे मुँह से तो चीख ही निकल गयी. साधु की टाँगों के बीच में मोटा, काला और बहुत ही लंबा लंड झूल रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे उसका लंड उसके घुटनों से तीन या चार इंच ही उँचा था. नीलम भी पसीने पसीने हो गयी . लंड बहुत ही भयंकर लग रहा था. साधु ने दोनो हाथों से अपना लंड पकड़ के पेशाब किया. साधु का लंड देख कर मुझे गधे के लंड की याद आ गयी. मैदान में केयी गधे घूमते थे जिनके लटकते हुए मोटे लंबे लंड को देख कर मेरी चूत गीली हो जाती थी. जब साधु चला गया तो नीलम बोली,

“ हाई राम ! ऐसा लंड तो औरत की ज़िंदगी बना दे. खड़ा हो के तो बिजली के खंबे जैसा हो जायगा. काश मेरी चूत इतनी खुशनसीब होती ! ऊऊऊफ़ ! फॅट ही जाती.” “ नीलम! नीलम ! तू ये क्या बोल रही है. कंट्रोल कर. तुझे तो सिर्फ़ सुधीर के बारे में ही सोचना चाहिए.”

“ हां मेरी प्यारी कंचन ! सिर्फ़ फरक इतना है कि सुधीर का खड़ा हो के 6 इंच का होता है और साधु महाराज का सिक्युडा हुआ लंड भी 10 इंच का था. ज़रा सोच कंचन, एक फुट का मूसल तेरी चूत में जाए तो तेरा क्या होगा. भगवान की माया देख, एक फुट का लॉडा दिया भी उसे जिसे औरत में कोई दिलचस्पी नहीं.”

“ तुझे कैसे पता साधु महाराज को औरतों में दिलचस्पी नहीं. हो सकता है साधु महाराज अपने लंड का पूरा इस्तेमाल करते हों.” मैने नीलम को चिड़ाते हुए कहा.

“ हाई मर जाउ ! काश तेरी बात बिल्कुल सच हो. साधु महाराज की रास लीला देखने के लिए तो मैं एक लाख रुपये देने को तैयार हूँ.”“ और साधु महाराज से चुदवाने की लिए ?”

“ ओई मा. साधु महाराज से चुदवाने की लिए तो मैं जान भी देने को तैयार हूँ. कंचन, तूने चुदाई का मज़ा लिया ही कहाँ है. तूने कभी घोड़े को घोड़ी पर चढ़ते देखा है? जब ढाई फुट का लॉडा घोड़ी के अंडर जाता है तो उसकी हालत देखते ही बनती है. साधु महाराज जिस औरत पर चढ़ेंगे उस औरत का हाल भी घोड़ी जैसा ही होगा.”

मैने कुत्ते को कुतिया पर और सांड को गाय पर चढ़ते तो देखा था लेकिन घोड़े को घोड़ी पर चढ़ते कभी नहीं देखा था. अब तो साधु महाराज का लंड मुझे सपनों में भी आने लगा. बड़े और मोटे लंड की तो मैं दीवानी हो गयी थी. हालाँकि मेरे हज़ारों दीवाने थे पर मैं किसी को लिफ्ट नहीं देती थी. मुझे उन सबका इरादा अच्छी तरह मालूम था.

अब मैं 18 बरस की हो गयी थी और स्कूल में 12 क्लास में मेरा आखरी साल था. मुझे साड़ी में देख कर कोई कह नहीं सकता था कि मैं स्कूल में पढ़ती हूँ. चूचियाँ 38 इंच होने जा रही थी. मेरे बदन का सबसे सेक्सी हिस्सा शायद मेरे भारी नितूंब थे. लड़कों को देख कर मैं और मटक कर चलती. उनकी आहें सुन कर मुझे बड़ा मज़ा आता. अक्सर मेरे नितुंबों पर लड़के कॉमेंट पास किया करते थे. एक दिन तो हद ही हो गयी. मैने एक लड़के को बोलते सुना, “ हाई क्या कातिल चूतर हैं. आजा मेरी जान पूरा लॉडा तेरी गांद में पेल दूं.” मैं ऐसी अश्लील बातें खुले आम सुन कर दंग रह गयी. जब मैने उस लड़के के कॉमेंट के बारे में नीलम को बताया तो वो हस्ने लगी.

“ तू कितनी अनारी है कंचन. तेरे चूतर हैं ही इतने सेक्सी की किसी भी लड़के का मन डोल जाए.”

“ लेकिन वो तो कुच्छ और भी बोल रहा था.”

“ तेरी गांद में लंड पेलने को बोल रहा था? मेरी भोली भाली सहेली बहुत से मर्द औरत की चूत ही नहीं गांद भी चोद्ते हैं. ख़ास कर तेरी जैसी लड़कियो की, जिनकी गांद इतनी सुन्दर हो. अभी तो सती सावित्री है , जब तेरी शादी होगी तो याद रख एक दिन तेरा पति तेरी गांद ज़रूर चोदेगा. सच कंचन अगर मेरे पास लंड होता तो मैं भी तेरी गांद ज़रूर मारती.”

“ हट नालयक ! सुधीर ने भी तेरी गांद चोदि है ?”

“ नहीं रे अपनी किस्मत में इतने सेक्सी चूतर कहाँ.”

मुझे पहली बार पता लगा कि औरत की आगे और पीछे दोनो ओर से ली जाती है. तभी मेरे आँखों के सामने साधु महाराज का लंड घूम गया और मैं काँप उठी. अगर वो बिजली का खंबा गांद में गया तो क्या होगा! मुझे अभी भी नीलम की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था. इतने छ्होटे से छेद में लंड कैसे जाता होगा.

इस दौरान सुधीर ने मेरे भाई विकी से अच्छी दोस्ती कर ली थी. दोनो साथ साथ ही घूमा करते थे. एक दिन जब मैं बाज़ार से वापस आई तो मैने देखा कि सुधीर और विकी ड्रॉयिंग रूम में कुच्छ ख़ुसर पुसर कर रहे हैं और हस रहे हैं . मैं दीवार से कान लगा कर उनकी बातें सुनने लगी. उनकी बातें सुन के मैं हैरान रह गयी. सुधीर कह रहा था,

“ विकी तूने कभी किसी लड़की की चूत देखी है ?”

“ नहीं यार अपनी किस्मत ऐसी कहाँ ? तूने देखी है?”

“ देखी ही नहीं ली भी है.”

“ झूट मत बोल. किसकी ली है ?”

“ तू विश्वास नहीं करेगा.”

“ अरे यार बोल ना. विश्वास की क्या बात है?”

“ तो सुन, तेरी बेहन कंचन की सहेली नीलम को मैं रोज़ चोद्ता हूँ?”

“ क्या बात कर रहा है? मेरी दीदी की सहेलियाँ ऐसी हो ही नहीं सकती. मेरी दीदी ऐसी लड़कियो से दोस्ती नहीं कर सकती.”

“ देख विकी तू बहुत भोला है. तेरी बहन जवान हो चुकी है और अच्छी तरह जानती है कि नीलम मुझसे चुदवाति है.”

“ मैं सोच भी नहीं सकता की दीदी ऐसी लड़की से दोस्ती रखती है.”

“ विकी एक बात कहूँ? बुरा तो नहीं मानेगा?”

“ नहीं, बोल.”

“ यार, तेरी दीदी भी पताका है. क्या गदराया हुआ बदन है. तूने कभी अपनी दीदी की ओर ध्यान नहीं दिया.?”

“ सुधीर! क्या बकवास कर रहा है. अगर तू मेरा दोस्त नहीं होता तो मैं तुझे धक्के मार के घर से निकाल देता.”

“ नाराज़ मत हो मेरे दोस्त. तू और मैं दोनो मर्द हैं. लड़की तो लड़की ही होती है, बेहन ही क्यों ना हो. सच कहूँ, मैं तो अपनी बड़ी बेहन को केयी बार नंगी देख चुक्का हूँ. मैने बाथरूम के दरवाज़े में एक छेद कर रखा है. जब भी वो नहाने जाती है तो मैं उस छेद में से उसको नंगी नहाते हुए देखता हूँ. तू मेरे साथ घर चल एक दिन तुझे भी दिखा दूँगा. अब तो खुश है ना! अब सच सच बता तूने अपनी दीदी को नंगी देखा है.?”

विकी थोड़ा हिचकिचाया और फिर जो बोला उसे सुन कर मैं दंग रह गयी.

“ नहीं यार. दिल तो बहुत करता है लेकिन मोका कभी नहीं मिला. कभी कभी दीदी जब लापरवाही से बैठती है तो एक झलक उसकी पॅंटी की मिल जाती है. जब कभी वो नहा कर निकलती है तो मैं झट से बाथरूम में घुस जाता हूँ और उसकी उतारी हुई पॅंटी को सूंघ लेता हूँ और अपने लंड पे रगड़ लेता हूँ.”

“ वाह प्यारे! तू तो छुपा रुस्तम निकला. कैसी सुघन्ध है तेरी दीदी की चूत की?”

“ बहुत ही मादक है यार. दीदी की चूत पे बॉल भी बहुत लंबे हैं. अक्सर पॅंटी पर रह जाते है. कम से कम तीन इंच लंबी झाँटें होंगी.”

“ हाई यार मेरा लंड तो अभी से खड़ा हो रहा है. एक दिन अपनी दीदी की पॅंटी की महक हमें भी सूँघा दे. तेरा कभी अपनी दीदी को चोदने का मन नहीं करता?”

“ करता तो बहुत है लेकिन जो चीज़ मिल नहीं सकती उसके पीछे क्या पड़ना? दीदी के नाम की मूठ मार लेता हूँ.”

क्रमशः.........

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