August 26, 2017

कंचन : बेटी बहन भाभी से बहू तक का सफ़र - 12

खैर इस सब के बाद भी मैं अपने भाई विकी को नहीं भुला सकी. अब तो मैं कुँवारी भी नहीं थी. सोच लिया था कि इस बार मायके गयी तो विकी से चुदवाने की तमन्ना ज़रूर पूरी करूँगी. आख़िर वो दिन भी आ गया. मायके से बुलावा आ गया. मम्मी ने होली पे एक महीने के लिए बुलाया था.

होली पे ये मुझे मायके छ्चोड़ने आए. मम्मी ने मुझे इस बार कम से कम एक महीने रुकने के लिए कहा. एक महीने बिना चुदाई के गुज़ारना तो बड़ा मुश्किल मालूम पर रहा था. जाने से एक रात पहले इन्होने मुझे पूरी रात चोदा. मैने भी जी भर के चुडवाया क्योंकि अगला एक महीना तो सूखा ही जाने वाला था. शादी के बाद पहला मोका था जब मैं इतने लंबे समय के लिए मायके रहने आई थी. अगले दिन ये वापस चले गये. जिस दिन ये गये उसी दिन विकी का दोस्त सुधीर घर पे आया. केयी दिनों से मैने उनकी बातें नहीं सुनी थी. दरवाज़े के पीछे खड़ी हो गयी कान लगा के. सोचा था अब किसी और लड़की की बातें करते होंगे. लेकिन जो सुना वो सुन के तो मेरा पसीना छूट गया.

“ हाई, सुधीर बारे दिनों के बाद आया है. लगता है कुत्ते की तरह मेरी दीदी को सूघता हुआ आ गया.”

“ सूंघ कैसे सकता हूँ यार तूने कभी इस कुत्ते को अपनी दीदी की चूत सूँघाई ही नहीं. तेरी दीदी अगर एक बार भी मेरे सामने अपनी चूत खोल कर बैठ जाए तो तेरी कसम सारी उमर कुत्ता बनने को तैयार हूँ.”

“ हा हा. हा. कुत्ता बन के क्या करेगा?

“ सारी उमर तेरी दीदी की चूत चाटूंगा. कल बाज़ार में देखा था. सच शादी के बाद से तो जवानी और भी निखर आई है. चूटर क्या फैल गये हैं. तेरे जीजाजी ज़रूर उसकी गांद भी मारते होंगे.”

“ नहीं यार शायद जीजाजी दीदी की गांद नहीं मारते.”

“तुझे कैसे पता?”

“ क्योंकि कल रात मैने दीदी और जीजाजी की रास लीला देखी. पूरी रात चोदा उन्होने दीदी को लेकिन गांद नहीं मारी. ज़िंदगी में पहली बार किसी लड़की की चुदाई देखी, और वो भी अपनी बेहन की.”

“ वाह प्यारे! तू तो बहुत तेज़ निकला. लेकिन देखा कैसे? बता ना यार क्या क्या देखा.?”

“ ऐसे नहीं बताउन्गा. कुच्छ फीस देनी परेगी.”

“ जो तू कहेगा वो दूँगा.जल्दी बता.”

“ अगर तू अपनी बहन की चूत दिलवाएगा तो बताउन्गा.”

“ उसकी चूत तो मैने भी नहीं ली.”

“ अच्छा चल दर्शन ही करा दे.”

“ ठीक है यार करा दूँगा. कल मेरे घर चल. जब नहाने जाएगी तो देख लेना. अब तो बता दे”

“ यार मुझे मालूम था कि दीदी और जीजा जी आने वाले हैं और दीदी यहाँ एक महीने रहेगी. मेरे और दीदी के कमरे के बीच एक दरवाज़ा है. मैने दीदी के कमरे के दरवाज़े में बड़ा सा छेद कर दिया और उसमे लकड़ी का गुटका फँसा दिया. वैसे देखने में पता ही नहीं लगता है कि वहाँ इतना बड़ा छेद है. जीजा जी आज जाने वाले थे. मुझे मालूम था कि रात में दीदी की चुदाई ज़रूर होगी. मैने ही दीदी का कमरा उनके आने से पहले तैयार किया था. मैने उनका बेड ठीक छेद के सामने और दरवाज़े के नज़दीक इस प्रकार से लगाया की सोने वाले की टाँगें छेद की तरफ हों. छेद में से सब कुच्छ बिल्कुल सॉफ दिखाई देता है. रात में अगर वरामदे की लाइट ऑन कर दो तो अंडर काफ़ी रोशनी हो जाती है क्योंकि रोशनदान और खिड़की से काफ़ी लाइट अंडर जाती है. सुबसे अच्छी बात तो ये हुई की जीजाजी ने भी नाइट लॅंप ऑफ नहीं किया. नाइट लॅंप और रोशनदान से आती हुई रोशनी से अंडर काफ़ी उजाला हो गया था. इसके इलावा जीजाजी लेटने से पहले बाथरूम गये ओर बाथरूम का दरवाज़ा और लाइट दोनो खुले छोड़ आए. अब तो अंडर उजाला ही उजाला था. अपना प्लान ज़रूरत से ज़्यादा कामयाब हो गया.”

“ फिर क्या हुआ? जल्दी बता, मेरा लंड तो अभी से खड़ा हो रहा है.”

“ रात में खाना खाने के बाद जीजाजी जल्दी ही दीदी को ले कर अपने कमरे में चले गये. मैने भी अपने कमरे में पहुँच कर लाइट बंद कर दी और लकड़ी का गुटका दरवाज़े के छेद में से निकाल लिया. अब अंडर सब कुच्छ सॉफ नज़र आ रहा था और उनकी बातें भी सुनाई पड़ रही थी. जीजाजी काफ़ी उतावले लग रहे थे. उन्होने कमरे में घुसते ही अपने कपड़े उतार दिए और नंगे हो गये. काफ़ी मोटा लंड है उनका. अपने कपड़े उतार कर दीदी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगे. फिर उन्होने दीदी का कुर्ता उतार दिया और एक झटके से सलवार का नाडा खींच दिया. दीदी की सलवार खुल के नीचे गिर गयी. अब दीदी सिर्फ़ ब्रा और पॅंटी में थी. जीजाजी का लॉडा भी तन गया था. दीदी ने पंजों के बल थोड़ा सा ऊपर हो कर उनका लॉडा अपनी टाँगों के बीच में ले लिया. वो दीदी के होंठों का रास्पान करते हुए उसकी पीठ और चूतर सहला रहे थे. ऊफ़ क्या विशाल चूतर थे! शादी से पहले एक बार देखे थे लेकिन अब तो खूब निखर आए थे और फैल भी गये थे. दीदी की पॅंटी तो उसकी चूतरो की दरार में घुसी जा रही थी. जीजाजी ने दीदी पीठ पे हाथ फेरते हुए ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को उतार के बिस्तेर पे फेंक दिया. क्या ज़ालिम चूचियाँ थी! मैने कयि बार दीदी की ब्रा में झाँका था लॅकिन कल रात पहली बार दीदी की चुचियाँ नंगी देखी. जीजाजी दीदी की चुचिओ को मसल रहे थे और दीदी ने भी उनके लॉड को सहलाना शुरू कर दिया था. अब जीजाजी ने दीदी की पॅंटी भी उतार दी. ऊफ़ क्या ग़ज़ब का नज़ारा था. दीदी की चूत पे इतने घने बाल थे की पूरा जंगल लग रहा था. बाल दीदी की नाभि से आधा इंच नीचे ही शुरू हो गये थे और पूरी चूत को ढक रखा था. दीदी की चूत के दर्शन तो उसकी शादी से पहले भी कर चुक्का हूँ पर कल रात तो पहली बार पूरी तरह नंगी देखा. बहुत ही खूबसूरत लग रही थी.

दीदी की मादक सिसकियाँ सुन के मेरा बुरा हाल था. तभी जीजाजी ने दीदी को उठा के बिस्तेर पे लिटा दिया. दीदी ने अपनी टाँगें मोड़ के चुदवाने की मुद्रा में चौड़ी कर ली. अब तो घनी झांतों के बीच से दीदी की चूत सॉफ नज़र आने लगी. टाँगों को फैलाने से चूत की दोनो फाँकें चौड़ी हो गयी थी और चूत के उभरे हुए होंठ खुले हुए थे. ट्रेन में जब मैने दीदी की कुँवारी चूत के दर्शन किए थे तब तो ये होंठ इतने उभरे हुए नहीं थे और खुले तो बिल्कुल भी नहीं थे. अब तो ऐसा लग रहा था जैसे दीदी की चूत मुँह फाडे लंड को निगलने का इंतज़ार कर रही हो. शायद दो साल की चुदाई से चूत की ये हालत हो गयी थी. इस मुद्रा में दीदी के विशाल चूतर भी फैल गये थे और उनके बीच में से छ्होटा सा गुलाबी छेद नज़र आ रहा था. दीदी की गांद देख कर तो मेरा लंड झरते झरते बचा. मुझे पूरा विषवास था कि दीदी की गांद ज़रूर मारी जाएगी. मुझे जीजाजी से जलन हो रही थी. मेरी दीदी की मेरे ही सामने चुदाई होने जा रही थी और मैं लंड हाथ में पकड़ के लाचार बैठा था. जीजाजी दीदी की फैली हुई टाँगों के बीच में बैठ गये और लंड का सुपरा चूत के खुले हुए होंठों के बीच टीका दिया. फिर उन्होने दीदी की चुचिओ को दोनो हाथों से पकड़ के करारा सा धक्का लगा दिया. जीजाजी का लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा अंडर घुस गया. दीदी के मुँह से ऊफ़ ऊफ़ अया…आआहह अया ऊओह ऊवू की आवाज़ें आ रही थी. जीजाजी लंड पूरा बाहर निकाल कर जड़ तक अंडर पेलने लगे. दीदी की चूत से फ़च फ़च फ़च का संगीत निकल रहा था. दीदी भी चूतरो को उछाल उछाल के लंड अंडर ले रही थी. करीब आधे घंटे की भयंकर चुदाई के बाद जीजाजी झाड़ गये. लगता था उनके लंड ने ढेर सारा वीर्य दीदी की चूत में उंड़ेल दिया था क्योंकि उनका वीर्य दीदी की चूत से निकल के उसकी गांद की ओर बहने लगा था. थोड़ी देर में दीदी की गांद का छेद वीर्य से धक गया. जीजाजी ने लंड को बाहर खींच लिया. लंड प्लॉप की आवाज़ के साथ बाहर आ गया. फिर जीजाजी ने टवल से दीदी की चूत को सॉफ किया और अपने लंड को भी सॉफ किया. दोनो लेटे हुए बातें कर रहे थे और दीदी धीरे धीरे जीजाजी के लंड को सहला रही थी. थोरी देर में लंड फिर से खरा हो गया और जीजाजी ने एक बार फिर दीदी की को चोदा. इस तरह रात में चार बार दीदी की चुदाई हुई. लेकिन यार जीजाजी ने एक बार भी दीदी की गांद नहीं मारी. चोदा भी सिर्फ़ एक ही मुद्रा में. लगता है जीजाजी काम कला में अनारी हैं.”“ तू सच कह रहा है यार विकी. इतनी खूबसूरत औरत के तो तीनो छेद चोदने में मज़ा आ जाए.”

“ सच यार, हम तो अपना लंड हाथ में पकड़े अपनी आँखों के सामने अपनी ही बहन की चुदाई देखते रहे. काश इस लॉड को भी दीदी की चूत नसीब हो जाए!” विकी आहें भरता हुआ बोला.

विकी और सुधीर की बातें सुन कर मैं दंग रह गयी. हे भगवान! विकी ने तो मेरी चुदाई तक देख ली.

अब तो मैने सोच लिया की इस एक महीने के अंडर ही मैं विकी से ज़रूर चुदवाउन्गि. विकी का लॉडा अब भी मेरी आँखों के सामने घूम जाता था. अब तो मुझे मालूम था कि विकी दरवाज़े के छेद में से मेरे कमरे में झँकता है. मैं रोज़ रात को कपड़े बदलने के बहाने नंगी हो कर केयी पोज़ में उसे अपने बदन के दर्शन कराने लगी. मेरी चूत के बॉल इतने लंबे थे की मेरी चूत पूरी तरह ढक जाती थी. मैने चूत के होंठों के चारों ओर के बॉल काट के छ्होटे कर दिए. अब मैं सिर्फ़ पेटिकोट और ब्लाउस में बेड पर लेट कर नॉवेल पढ़ने का बहाना करती. पेटिकोट को इतना ऊपर चढ़ा लेती की दरवाज़े के छेद से झँकते हुए विकी को मेरी फूली हुई चूत के दर्शन आसानी से हो जाते.

एक दिन मैं रात को विकी के कमरे में जा के बोली,

“ विकी, मेरे बाथरूम में पानी नहीं आ रहा, मैं तेरे बाथरूम में नहा लूँ?”

“ ज़रूर दीदी, इसमे पूछने की क्या बात है. नहा लीजिए.”

मैने विकी के बाथरूम में नाहया और जान बूझ कर अपनी उतरी हुई पॅंटी को विकी के बाथरूम के दरवाज़े के पीछे छोड़ आई. अपने कमरे में आ के मैने लाइट बंद कर ली और दरवाज़े के छेद में फँसे लकड़ी के गुटके को निकाल के विकी के कमरे में झाँकने लगी. विकी अपने बाथरूम में गया. जब वो बाहर निकला तो उसके हाथ में मेरी पॅंटी थी. वो मेरी पॅंटी को सूंघ रहा था और उसके चेहरे पर उत्तेजना थी. उसने अपने कपड़े उतार दिए. जैसे ही उसने अपनी पॅंट उतारी मैं तो बेहोश होते होते बची. उसका लॉडा बुरी तरह से फंफना रहा था. इतना मोटा और लंबा था की मैने आज तक किसी ब्लू फिल्म में भी इतना बड़ा लंड नहीं देखा था. अब मेरी समझ में आया कि क्यों मम्मी भी इस भयानक लॉड को देख के घबरा गयी थी. लॉडा कहाँ था, ये तो वाकाई बिजली का खंबा था! अपनी आँखों पे विश्वास नहीं हो रहा था कि किसी आदमी का लंड इतना बड़ा भी हो सकता है. मैं सोचने लगी की इस राक्षस को झेल भी पाउन्गि की नहीं. ये तो सुचमुच मेरी चूत फाड़ देगा. ये बिजली का खमबा तो मेरी चूत को किसी और के लायक छोड़ेगा ही नहीं. इतने में विकी ने मेरी पॅंटी को उस जगह चूमना शुरू कर दिया जहाँ मेरी चूत पॅंटी पे रगड़ती थी. फिर उसने पंटी को अपने लंड के सुपरे पे रख लिया और अपने लंड को हाथ से आगे पीछे करने लगा. उसके लंड पे तंगी मेरी छ्होटी सी पॅंटी ऐसी लग रही थी जैसे किसी नारियल के पेड पर तंगी हुई हो. थोरी देर मूठ मारने के बाद विकी झार गया और सारा वीर्य मेरी पॅंटी पर उंड़ेल दिया. पॅंटी से अपने लंड को सॉफ करके उसने मेरी पॅंटी वापस अपने बाथरूम में रख दी.

जल्दी ही वो मोका भी हाथ लग गया जिसका मुझे बेसब्री से इंतज़ार था. मम्मी पापा को किसी शादी में दो दिन के लिए जाना था. जिस दिन मम्मी पापा गये उसी रात का प्लान मैने बनाया. रात को नहा के मैने वो गाउन पहन लिया जो मेरे पति ने मुझे हनिमून के दौरान दिया था. ये गाउन सिल्क का था और मेरे घुटनों से 6 इंच ऊपर रहता था. गाउन के नीचे मैने ब्रा और पॅंटी नहीं पहनी. अब तो मैं उस छ्होटे से गाउन के नीचे बिल्कुल नंगी थी. मैने लकड़ी का गुटका निकाल के विकी के कमरे में झाँका. विकी के बदन पे सिर्फ़ एक लूँगी थी ओर वो बिस्तेर पे लेटा हुआ कोई नॉवेल पढ़ रहा था. उसका एक हाथ लंड को सहला रहा था.

क्रमशः.........

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