August 26, 2017

कंचन : बेटी बहन भाभी से बहू तक का सफ़र - 15

ऐसे क्या देख रही हो ? आओ ना दीदी मेरे लंड पे बैठ जाओ. आपकी टाँगों को आराम मिलेगा.”“ बड़ा ख्याल है तुझे अपनी बेहन का ! लेकिन तेरे इस खंबे पे चढ़ने के लिए तो मुझे खड़ा होना पड़ेगा.” मैं विकी के दोनो ओर टाँगें कर के बिस्तेर पे खड़ी हो गयी. विकी की आँखें मेरी टाँगों के बीच में लगी हुई थी. उसके लंड का सुपरा भी मेरी चूत को ललचाई नज़रों से देख रहा था. मैने बहुत धीरे धीरे बैठना शुरू किया. जैसे जैसे मैं नीचे होने लगी वैसे वैसे मेरी टाँगें चौड़ी होने लगी. टाँगें चौड़ी होने के साथ साथ घनी झांतों के बीच से मेरी चूत नज़र आने लगी. अब मेरी चूत विकी के तने हुए लॉड से सिर्फ़ 6 इंच ऊपर थी. टाँगें खूब चौड़ी होने के कारण चूत की दोनो फाँकें भी फैल गयी और चूत के खुले हुए होंठ और च्छेद नज़र आने लगा. विकी के मोटे लंड ने मेरी चूत के छेद को खूब चौड़ा कर दिया था. विकी ऐसे कामुक नज़ारे को देख के बहाल हो रहा था. जुब मेरी चूत विकी के सुपारे से सिर्फ़ एक इंच ऊपर थी तो अचानक विकी बोला,

“ ठहरो दीदी, खड़ी हो जाओ.” मैं खड़ी हो गयी.

“ क्या हुआ ? दीदी को चोद के मन भर गया?”

“ नहीं दीदी ! आपको चोद के तो मेरा मन कभी नहीं भर सकता. ज़रा आगे आओ.” मैं आगे हो गयी.

“ और आगे” मैं और आगे हो गयी.

“ ओह हो ! और थोड़ा आगे.”

“ तू क्या चाहता है ?” मैं और आगे होते हुए बोली. अब मैं ठीक विकी के मुँह के ऊपर थी.

“ अब ठीक है. बैठ जाओ.” मैं समझ गयी विकी मेरी चूत चाटना चाहता था. मेरा दिल उत्तेजना से धक धक करने लगा. मैने फिर बैठना शुरू कर दिया. जैसे जैसे नीचे की ओर होती गयी मेरी टाँगें फैलने लगी और मेरी फूली हुई चूत झांतों के बीच से झाँकने लगी. चूत के चारों तरफ के बाल बुरी तरह से चूत के रस में सने हुए थे. विकी की आँखें मेरी चूत पे टिकी हुई थी जिसका मुँह विकी के मोटे लॉड ने चौड़ा कर दिया था. मैं ऐसे बैठ गयी जैसे लड़कियाँ पेशाब करने बैठती हैं. मेरी चूत विकी के होंठों से सिर्फ़ आधा इंच ऊपेर थी. विकी मेरी चूत के अंडर झाँक सकता था क्योंकि उसके मोटे लंड ने मेरी चूत के छेद को फैला जो दिया था.

“ ले बैठ गयी. ऐसे क्यों बैठा दिया ?”

“ अया ! क्या मादक खुश्बू है. इतनी मादक खुश्बू तो आपकी पॅंटी में भी कभी नहीं आई.”

“ अरे बुद्धू, मैं कितनी गीली हूँ. है तो तेरे लंड का है कमाल जो इतना गीला कर दिया.”

“ दीदी, इस खूबसूरत चूत को चाटने के सपने बचपन से ले रहा हूँ.” ये कहते हुए विकी ने दोनो हाथों से मेरे चूतर पकड़ के अपना मुँह मेरी चूत से चिपका दिया. विकी मेरी चूत को पागलों की तरह चाटने लगा. बीच बीच में अपनी जीभ चूत में घुसा देता. विकी का मुँह मेरी चूत और घनी झांतों में धक गया था. मैं भी बहुत उत्तेजित हो गयी और मैने विकी का सिर पकड़ के ज़ोर से अपनी चूत में मसल दिया. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी और मैं एक बार फिर झाड़ गयी. विकी का मुँह मेरी चूत के रस से सुन गया. बेचारा साँस भी नहीं ले पा रहा था लेकिन मेरी चूत में मुँह धंसा के चाटता ही रहा.

“ विकी छ्चोड़ मुझे ये क्या कर रहा है ? तूने मुझे ये कैसे बैठा रखा है?”

“ सच दीदी मज़ा आ गया. ऐसे चूत फैला के बैठी हुई आप बहुत ही सेक्सी लग रही हो.”

“ हट पागल ! ऐसे तो पेशाब करने बैठते हैं.”

“ हाई…..दीदी. पेशाब करते वक़्त आपकी चूत से प्सस्ससस्स….. की आवाज़ सुन के तो मेरा लंड कयि बार खड़ा हो चुका है. जब भी आप बाथरूम में पेशाब करने जाती हो तो मैं दरवाज़े पे कान लुगा के सुनता हूँ. जब से आपकी शादी हुई है तब से आपकी चूत पेशाब करते हुए और भी ज़्यादा आवाज़ करने लगी है. ऐसा क्यों दीदी?”

“ शादी के बाद से मेरी चूत का छेद चौड़ा हो गया है, शायद इसीलिए ज़्यादा आवाज़ करने लगी होगी.”

“ आपकी चूत से निकलती हुई प्सस्सस्सस्स……. की आवाज़ बहुत ही मादक होती है. अब तो आपकी चूत इतने ज़ोर से आवाज़ करती है कि दरवाज़े से कान लगाने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती. पूरे घर को पता लग जाता है कि मेरी प्यारी दीदी पेशाब कर रही है.”

“ अब तू चुप कर बदमाश, नहीं तो मैं तेरे ऊपर ही पेशाब कर दूँगी.”

“ कर दो ना दीदी. आपकी चूत से निकलती हुई अमृत की धार देखने के लिए बहुत तरस रहा हूँ. करो ना दीदी प्लीज़…” विकी दोनो हाथों से मेरे चूतरो को दबा कर मेरी चूत को चूमता हुआ बोला. विकी इस्कदर मेरी चूत का दीवाना था मुझे पहली बार पता चला.

“ तू दीदी को चोदना चाहता है या नहीं ? अगर नहीं चोदना है तो मुझे जाने दे.”

“ हां दीदी ज़रूर चोदुन्गा लेकिन उससे पहले आपकी इस खूबसूरत घनी झांतों से भरी चूत से निकलती अमृत की धार देख लूँ और प्सस्सस्स्सस्स…..का मधुर संगीत तो सुन लूँ. उसके बाद आपकी चूत चोदने में बहुत मज़ा आएगा.”

“ तू तो पागल हो गया है. मैं जा रही हूँ.” मैं झूठा गुस्सा करते हुए बोली.

“ कहाँ जा रही हो ? उतोगी तो मैं आपकी चूत काट लूँगा.” ये कहते हुए उसने मेरे चूतरो को पकड़ के मेरी चूत की दोनो फांकों को अपने दाँतों के बीच दबा दिया.

“ ऊओईई….अया..ये क्या कर रहा है नालयक!”

“ करो जल्दी से नहीं तो ज़ोर से काट लूँगा.” विकी मेरी चूत पे दाँतों का दबाव बरता हुआ बोला. बाप रे, ये तो सुचमुच ही मेरी चूत को काट लेगा. इस तरह चूत खोल के विकी के ऊपर पेशाब करने की कल्पना से ही मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. अजीब तरह की उत्तेजना का अहसास हो रहा था.ये तो काम कला का एकदम नया नुस्ख़ा था. लेकिन विकी के ऊपर पेशाब कैसे कर देती, और वो भी उसके मुँह पे. हालाँकि पेशाब का प्रेशर ज़्यादा होता जा रहा था क्योंकि विकी करीब दो घंटे से चोद रहा था और मैं तीन बार झाड़ चुकी थी. विकी चूत की फांकों के बीच के कटाव में जीभ फेर रहा था और कभी कभी फूली हुई चूत को काट लेता.

“ विकी प्लीज़ मुझे छोड़ दे. अगर तू देखना ही चाहता है तो मैं तेरे सामने बाथरूम में पेशाब करने को तैयार हूँ.”

“ नहीं मेरी प्यारी दीदी, आपकी चूत से निकलती हुए धार देखने के लिए ये बिल्कुल सही मुद्रा है. अब कर भी डालो. उसके बाद तो आपकी चूत लेने में बहुत ही मज़ा आएगा.”

“ विकी मैं तेरे ऊपर कैसे पेशाब कर दूं ? तू तो बिल्कुल पागल हो गया है. प्लीज़ विकी तू मेरे साथ कुच्छ भी कर ले मैं कुच्छ नहीं कहूँगी लेकिन इस बात की ज़िद मत कर.” विकी तो मानो मेरी बात सुन ही नहीं रहा था. वो पागलों की तरह मेरी चूत में मुँह दे कर चाट रहा था. फिर वो ज़ोर ज़ोर से मेरे चूतरो को मसल्ने लगा और एक उंगली से चूतरो के बीच की दरार को सहलाते हुए उंगली मेरी गांद के छेद पे रख दी. अब तो उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था. अचानक विकी ने मेरे चूतरो को बहुत ज़ोर से दबाया और उंगली को गांद के अंडर सरकाते मेरी चूत की फांकों को ज़ोर से काट लिया. मैं और ना सहन कर सकी और मेरी चूत में से पेशाब निकल ही पड़ा. क्योंकि विकी ने मेरी पूरी चूत अपने मुँह में दबा रखी थी, पेशाब की गरम गरम तेज़ धार जिसमे मेरी चूत का रस और विकी का वीर्य भी मिला हुआ था सीधे विकी के मुँह में घुस गयी. विकी हराबरा गया. मैने बरी मुश्किल से पेशाब को रोका. विकी का चेहरा पेशाब से गीला हो गया था. काफ़ी सारा पेशाब तो वो पी गया था.

“ हाई दीदी मज़ा आ गया. अब थोड़ा सा पीछे हो के मेरे ऊपर पेशाब करो ताकि मैं आपकी चूत से निकलती हुई धार देख सकूँ. मैं थोड़ा सा पीच्चे हो गयी और इस बार पूरे प्रेशर के साथ पेशाब करने लगी. प्सस्सस्स्स्स्स्सस्स……………..की आवाज़ से पूरा कमरा गूंज़्ने लगा. काफ़ी देर से पेशाब रोक रखा था इसलिए धार बहुत तेज़ निकली. पेशाब की धार विकी की छाती पे लग रही थी. विकी बारे ध्यान से मेरी चूत से निकलती हुई धार को देख रहा था. पूरा बिस्तेर गीला हो गया. विकी तो पूरा पेशाब में नहा ही गया था. जब पेशाब कर चुकी तो विकी ने फिर से मेरी चूत में मुँह दे दिया और मेरी गीली चूत और झांतों को चाट चाट के सॉफ करने लगा.

“ अब तो खुश है ना ? जा अब नहा ले.”

“ दीदी आज तो मैं सुचमुच बहुत खुश हूँ. आपकी चूत से निकलती धार को देखने का नज़ारा बयान करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं. अभी नहीं आपको पूरी तरह से चोद के ही नहाउंगा.” बाप रे विकी आदमी नहीं घोड़ा था. दो घंटे से चोद रहा था लेकिन झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

“ चोद ही तो रहा है दो घंटे से, अब और कैसे चोदेगा? तुझमे बहुत स्टॅमिना है विकी, मैं तो टीन बार झाड़ चुकी हूँ और टू एक बार भी नहीं.”

“ दीदी अभी कैसे झाड़ सकता हूँ ? आज के बाद आप फिर कभी चोदने नहीं दोगि, इसलिए आज तो आपके साथ सब कुच्छ करके ही झदूँगा.”

“ सब कुच्छ से क्या मतलब ? अभी और क्या करेगा ? पता नहीं क्या क्या काम करवा रहा है मुझसे.अच्छा चल अपने और मेरे बदन को पोछ तो ले. ये बिस्तेर भी गीला हो गया है. ”

“ ठीक है दीदी, पहले अपना गीला बदन पोछ लेते हैं.” ये कह कर हम दोनो उठ गये. विकी ने टवल से अपने और मेरा बदन पर से पेशाब के गीलेपन को पोछा. फिर उसने एक सूखा गद्दा ज़मीन पर डाल दिया, और बोला,

“ दीदी अब आप घोड़ी बन जाओ. आप मुझे घोड़ा बोलती हो ना. अब मैं आपको घोड़े की तरह चोदुन्गा.” विकी वाकाई काम कला में बहुत माहिर लग रहा था. विश्वास नहीं होता था कि सिर्फ़ किताब पढ़ कर और चुदाई की पिक्चर देख कर इतना सब सीख गया था. मैं घोड़ी बनते हुए बोली,

“ आजा मेरे घोड़े चोद अपनी घोड़ी को अपने एक फुट के लंड से.” मैने टाँगें खूब चौड़ी कर के चूतरो को इस प्रकार ऊपर कर दिया कि विकी को मेरे मोटे मोटे चूतरो के बीच से चूत का खुला हुआ मुँह सॉफ दिखाई देने लगा. विकी मेरे पीछे घोड़ा बन गया और फिर से अपना मुँह पीछे से मेरी चूत में दे दिया. वो पीछे की ओर उभरी हुई मेरी चूत को चाटने और दाँतों से काटने लगा. बहुत ही आनंद मिल रहा था. मेरी चूत ने बुरी तरह रस छ्चोड़ना शुरू कर दिया. विकी चूत के पूरे कटाव में जीभ फेरता और बीच बीच में जीभ चूत में घुसेड देता. उसके होंठ तो मेरी चूत से चिपके हुए थे थे लेकिन नाक मेरे चूतरो के बीच घुस गया था. मैने चूतेर और भी पीछे की ओर उचका दिए.

इस वक़्त मैने चूतेर इस तरह से उचका के फैला रखे थे की मेरे भारी चूतरो के बीच मेरी गांद का छेद भी विकी की आँखों के सामने था. विकी मेरे चूतरो को मसलता हुआ गहरी साँस लेकर बोला,

“ दीदी आपके चूतेर बहुत ही सेक्सी हैं. मालूम है सारा कॉलेज आपके इन कातिलाना चूतरो पे मरता था ? लड़के कहते थे की आपकी गांद लेने में तो ज़न्नत का मज़ा मिलेगा.”

“ तेरे इरादे मुझे ठीक नहीं लग रहे विकी. कहीं तू मेरी गांद मारने के तो चक्कर में नहीं है ?”

“ दीदी आपने कहा कि मैं आपको एक बार चोद सकता हूँ और जो चाहूं कर सकता हूँ.”

“ हाँ मेरे राजा जो चाहे कर लेकिन तेरा ये बिजली का खंबा मेरी गांद में कैसे जाएगा ? और फिर अभी तक तूने मेरी चूत तो अच्छी तरह से चोदि नहीं”

“ ये बात ठीक है दीदी पहले मैं आपकी चूत तो जी भर के चोद लूँ, बाद में गांद के बारे में सोचेंगे. लेकिन दीदी आपने कभी घोड़े को घोड़ी की चुदाई करते देखा है?”

“ नहीं मैने कभी नहीं देखा.”

“ तो मैं बताता हूँ. पहले एक घोड़ी घोड़े के लंड को चाट के खड़ा करती है. जब घोड़े का लंड तन जाता है तब जिस घोड़ी की चुदाई करनी होती है उसे लाया जाता है. उसके बाद ही घोड़ा उस घोड़ी की जम के चुदाई करता है. अब अगर मुझे भी आपको घोड़ी की तरह चोदना है तो आप मेरे लंड को चुदाई के लिए तैयार तो करो. लो मैं घोड़ा बन जाता हूँ.” ये कह कर विकी भी घोड़ा बन गया. मैं समझ गयी विकी मुझसे क्या चाहता था.

“ ठीक है घोड़े राजा ! पहले मैं आपके लंड को चुदाई के लिए तैयार करती हूँ.” विकी घोड़ा बना हुआ था और उसका एक फुट लंबा लॉडा नीचे ऐसे झूल रहा था जैसे वाकाई किसी घोड़े का लंड हो. मैं तो बरसों से इस लॉड को चूमने के लिए तरस रही थी. सच कहूँ तो गधे या घोड़े के लंबे मोटे लटकते हुए लंड को जब भी देखती, मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो जाती. हमेशा सोचती की काश मैं ऐसे लंड को कभी चूस पाउ. विकी का लंड भी किसी घोड़े के लंड से कम नहीं था. मैं घोड़ी बने हुए ही विकी के पीछे गयी. विकी के बड़े बड़े बॉल्स लटक रहे थे. मैने उसकी टाँगों के बीच में मुँह डाल कर उसके बॉल्स को चाटना शुरू कर दिया. क्योंकि विकी घोड़ा बना हुआ था, उसके लंड को चूस पाना बहुत मुश्किल हो रहा था. विकी बोला.

“ दीदी अब आप चित लेट जाओ तभी आप इस घोड़े का लंड चूस पाओगि.”

मैं चित लेट गयी और विकी घोड़ा बना हुआ मेरे मुँह के ऊपर आ गया. उसका एक फुट लंबा लंड अब मेरे मुँह के ऊपर झूल रहा था. बरसों पहले जब एक रात विकी सो रहा था तब मैने उसके लंड को चूमा था. उस दिन तो उसका लंड ढीला उसकी जांघों पर पड़ा हुआ था. लेकिन आज तो पूरा तना हुआ था और मेरी चूत का रस पी पी कर ख़ासा मोटा हो गया था. लंड का फूला हुआ सुपरा बहुत भयंकर लग रहा था. धीरे धीरे विकी ने अपने लंड के सुपरे को मेरे होंठों पे टीका दिया. बरसों की मेरी प्यास भाड़क उठी. मैने जीभ निकाल के उसके सुपरे को चाटना शुरू कर दिया. मेरी जीभ का स्पर्श मिलते ही विकी का लॉडा फंफनाने लगा. मैं थोड़ा सा उठ कर उसके पूरे लॉड को ऊपर से नीचे तक चाटने लगी. बाप रे ! कितना लंबा और मोटा था. सच ऐसा लॉडा तो बहुत किस्मत वाली औरत को ही नसीब होता है. बीच में उसके बड़े बड़े बॉल्स भी चाट लेती. मैं विकी के लंड को मुँह में लेने के लिए तरस रही थी लेकिन घबरा भी रही थी कि इतना मोटा लॉडा मेरे मुँह में जाएगा कैसे? मैने हिम्मत करके पूरा मुँह फाड़ के लंड के सुपरे को मुँह में डाल लिया. ऊओफ़ ! कितना अच्छा लग रहा था. बड़ी मुश्किल से करीब तीन इंच लंड मुँह में ले के चूसने लगी. विकी को जोश आ रहा था. उसने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए. मेरा मुँह तो पूरी तरह खुला हुआ था. विकी इतना उत्तेजित हो गया की वो मेरा सिर पकड़ के अपने लंड से मेरे मुँह कोचोदने लगा. उसका लंड मेरे गले तक चला गया था. और अंडर पेलता तो मेरा दम ही घुट जाता. थोड़ी देर इस प्रकार मेरे मुँह में लंड पेलने के बाद विकी घूम गया और अब उसका मुँह मेरी टाँगों की ओर था. उसने झुक के मेरी चूत को चाटना शुरू कर दिया. अब विकी मेरे ऊपर था, उसका लंड मेरे मुँह में और मेरी चूत उसके मुँह में थी. बहुत ही मज़ा आ रहा था. विकी थोरी देर बाद उठता हुआ बोला,

“ दीदी अब इस घोड़े का लंड घोड़ी को चोदने के लिए तैयार है. चलो घोड़ी बन जाओ.” मैं उसके लंड को मुँह से निकाल के फिर से घोड़ी बन गयी. इस बार मैने अपनी छाती बिस्तेर पे टीका दी और टाँगें खूब चौड़ी करके चूतेर ऊपेर की ओर उचका दिए. मेरी चूत मुँह खोले विकी के लॉड के लिए तैयार थी. विकी भी घोड़ा बन गया और जल्दी से एक बार फिर मेरी चूत को चूम कर लॉड के सुपरे को चूत के मुँह पे टीका दिया. मैं विकी के विशाल लंड को लेने के लिए तैयार थी लेकिन वो भी मुझे तरसा रहा था. हल्के से लंड पे दबाव डाल के मेरी चूत के मुँह को फैला देता लेकिन अंडर घुसाने से पहले ही बाहर निकाल लेता. मुझसे नहीं सहा जा रहा था.

“ विकी तंग क्यों कर रहा है ? पेल दे ना प्लीज़ !”

“ क्यों दीदी ? मैं सोच रहा था कि आप ठीक ही कह रही थी. अपनी सग़ी बेहन को चोदना तो पाप होता है. हमे ऐसा नहीं करना चाहिए.” मेरी उत्तेजना जितनी बढ़ रही थी विकी उतना ही मुझे तरपा रहा था.

क्रमशः.........

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