“ठीक है छोड़ देते हैं लेकिन थोड़ा ऊपर भी चेक करना पड़ेगा.”
ये कहते हुए पापा ने मेरी चूत छोड़ के मेरे खुले हुए ब्लाउस के नीचे से हाथ डाल के चूचिओ को पकड़ लिया और सहलाते हुए बोले,
“ कंचन तुम तो ऊपर से भी बिल्कुल मम्मी जैसी हो. अब हमे समझ में आया कि हम तुम्हें बार बार मम्मी क्यों समझ लेते हैं. लेकिन तुम्हारी छातियाँ तो सुचमुच बहुत सुन्दर और कसी हुई हैं.”
“इससस्स….आअहह…. धीरे प्लीज़…” पापा पीछे से मेरे साथ चिपके हुए थे और मेरी बड़ी बड़ी चूचिओ को सहला रहे थे. उनका तना हुआ मोटा लंड मेरे चूतरो की दरार में घुसा हुआ था और मेरी पॅंटी को भी मेरे चूतरो के बीच की दरार में घुसेड दिया था. मैं भी पापा का लंड पकड़ना चाहती थी.
“ऊओफ़.. पापा ये क्या चुभ रहा है ?”
ये कहते हुए मैं हाथ पीछे की ओर ले गयी और पापा के लंड को पकड़ लिया जैसे कि मैं चेक करना चाहती हूँ कि क्या चुभ रहा है. पापा का लंड हाथ में आते ही मैने हाथ एकदम वापस खींच लिया.
“हाई राम ! पापा ! आपका तो खड़ा हुआ है. हे भगवान ! कहीं आपका अपनी बेटी के लिए तो नहीं खड़ा है ?” मैं झूठा गुस्सा करते हुए बोली.
“नहीं नहीं बेटी, देखो आज हम 15 दिन के बाद वापस आए हैं और कल फिर दो महीने के लिए चले जाएँगे. तुम तो शादीशुदा हो और समझदार हो. अगर तुम्हारा पति इतने दिनों के बाद वापस आए और उसे अगले दिन फिर दो महीने के लिए जाना हो तो वो तुम्हारे साथ क्या करेगा ?”
जी हमें क्या पता ?”
“अब क्यों भोली बनती हो, बोलो ना.”
“जी कैसे बोलें हमे तो बहुत शरम आ रही है.”
“बेटी अपने पापा से क्या शरमाना. बोलो , जबाब दो”
“जी वो तो….वो तो……हमारा मट्लब है…”
“अरे शरमाओ नहीं बोलो.”
“जी वो तो सारी रात ही……”
“सारी रात क्या बेटी ?”
“जी हमारा मतलब है कि वो तो सारी रात हमे तंग करते.”
“ कैसे तंग करता बेटी ?”
“ जैसे एक मरद अपनी बीवी को करता है.”
“ ओ ! अगर वो तुम्हें सारी रात तंग करता तो तुम उसे तंग करने देती ?”
“जी ये तो उनका हक़ है. हम कौन होते हैं उन्हें रोकने वाले.”
“ तुम्हारा मट्लब है तुम उसे इसलिए तंग करने देती क्यूंकी ये उसका हक़ है, इसलिए नहीं कि तुम्हें भी तंग होने में मज़ा आता है ? बोलो ?”
“ तंग होने में तो हर औरत को मज़ा आता है.”
“ तो तुम्हें तंग करने के लिए उसका खड़ा तो होता होगा ना बेटी ?”
“ कैसी बातें करते हैं पापा ? बिना खड़ा हुए कैसे तंग कर सकते हैं ?”
“ बस ये ही तो हम भी तुमसे कहना चाहते हैं. हमारा भी इसीलिए खड़ा है क्योंकि हम भी आज तुम्हारी मम्मी को तंग करना चाहते थे. लेकिन तुमने तो हाथ ऐसे खींच लिया जैसे ये तुम्हें काट खाएगा. तुम भी देख लो कि हमारा ये तुम्हारी मम्मी के लिए कितना परेशान है.” ये कहते हुए पापा ने मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया. मेरी तो मानो बरसों के मुराद पूरी हो गयी. मैं शरमाने का नाटक करती हुई बोली,
“ हाई पापा ये क्या कर रहे हैं हमे तो बहुत शरम आ रही है.”
“ बेटी शरम की क्या बात है ? किसी मरद का पहली बार तो पकड़ नहीं रही हो. ठीक से पाकड़ो ना. तुम्हें अक्च्छा नहीं लगा हमारा ?”
बाप रे ! क्या मोटा लॉडा था. इतना मोटा की मेरी उंगलिओ के घेरे में भी नहीं आ रहा था. मैं उनके लॉड पे हाथ फेरते हुए बोली,
“हाई राम! ये तो कितना मोटा है!”
“पसंद नहीं आया?”
“ नहीं पापा आपका तो बहुत अक्च्छा है. लेकिन सच ! ये तो बहुत ही मोटा है !”
“तुम्हारे पति का ऐसा नहीं है ?”
“ जी इतना मोटा नहीं है. बेचारी मम्मी कैसे झेलती है इसे ?”
“ हाई बेटी क्या बताएँ, तुम्हारी मम्मी तो इसे बहुत प्यार करती है. सच वो इसके बिना रह नहीं सकती है. काश इस वक़्त वो यहाँ होती. लेकिन कोई बात नहीं हमारी प्यारी बिटिया तो है ना हमारे पास.” अब मैं पापा के मोटे लॉड को बड़े प्यार से सहला रही थी. अब मैने पापा की ओर करवट ले ली थी. पापा भी मेरी चूचिओ को सहला रहे थे. मैं पापा के लॉड को दबाते हुए बोली,
“ हाई पापा आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे बीवी नहीं तो बेटी ही चलेगी.”
“ क्यों नहीं चलेगी ? बेटी बिल्कुल बीवी जैसी ही तो लगती है. लेकिन लगता है हमारी बेटी को हमारा पसंद नहीं आया.”
“नहीं पापा हमे तो आपका बहुत पसंद आया. हम तो सोच रहे हैं कि इस मोटे राक्षस ने तो अब तक बेचारी मम्मी की उसको बहुत चौड़ा कर दिया होगा.”
“ नहीं बेटी हम 25 साल से तुम्हारी मम्मी को चोद रहे हैं लेकिन अभी तक उसकी बहुत टाइट है.” पापा ने पहली बार चोदने जैसे शब्द का इस्तेमाल किया. मैं समझ गयी कि पापा अब धीरे धीरे लाइन पे आ रहे थे.
“ सच पापा, काश हम आपकी बेटी ना हो के आपकी बीवी होते !. हम आपको आज इस तरह तड़पने नहीं देते.”
पापा मेरे विशाल चूतरो पे हाथ फेरते हुए बोले,
“ बेटी हम तो तुम्हें बिकुल मम्मी ही समझ रहे हैं. देखो ना तुम्हारे ये विशाल नितूंब बिल्कुल मम्मी की तरह ही फैले हुए हैं. और ये तुम्हारी पॅंटी भी इनके बीच में ठीक मम्मी की पॅंटी की तरह ही घुसी जा रही है.” पापा ने पॅंटी के ऊपर से ही एक उंगली मेरी गांद के छेद पे टिका दी.
“ इसस्सस्स…पापा ! ये पॅंटी अपने आप हमारे नितुंबों के बीच में नही घुसी जा रही है. इसे तो आपके इस डंडे ने धकेल के हमारे नितुंबों के बीच में घुसेड दिया है. अक्च्छा हुआ हमने पॅंटी पहनी हुई है नहीं तो राम जाने आज आपका ये मोटा डंडा कहीं और ही घुस जाता.”
“ अक्च्छा होता अगर घुस जाता. आख़िर अंजाने में ही तो घुसता.” पापा ने अब मेरी पॅंटी के अंडर हाथ डाल के मेरे चूतरो को सहलाना शुरू कर दिया था.
“ कंचन एक बात पूच्छें, बुरा तो नहीं मानोगी ?”
“ नहीं पापा पूच्हिए ना. बुरा क्यों मानेंगे ?”
“ बेटी जब तुम 10थ में थी तब एक बार तुम्हारी मम्मी ने हमे बताया था कि तुम्हारी चूत पे बहुत घने और लंबे बाल हैं. क्या ये बात सच है? हम इस लिए पूछ रहे हैं क्योंकि आज भी जब हम आए तो तुम्हारी फैली हुई टाँगों के बीच में से , पॅंटी से बाहर निकले हुए तुम्हारी चूत के बाल नज़र आ रहे थे.” अब तो पापा खुल के चूत जैसे शब्द इस्तेमाल करने लगे. शायद वासना की आग और शराब के नशे का असर था. पापा के मुँह से अपनी चूत की बात सुन के मेरे तन बदन में वासना की आग लग गयी. मैं बहुत भोले स्वर में बोली,
“जी पापा, हम क्या करें, बचपन से ही हमारे वहाँ बहुत घने बाल हैं. 12 साल की उमर में ही खूब बाल आ गये थे. और 16 साल की होते होते तो बिल्कुल जंगल ही हो गया था. हमारी सहेलियाँ हमे चिढ़ाती थी कि क्या जंगल उगा रखा है. हमे तो स्कूल में भी बहुत शरम आती थी. हमेशा बाल पॅंटी से बाहर निकले रहते थे और लड़के हमारी स्कर्ट के नीचे झाँकने की कोशिश करते थे.”
“ हाई कितने नालायक थे ये लड़के जो हमारी बेटी की स्कर्ट के नीचे झाँकते थे. वैसे बेटी जब तुम 16 साल की थी तो एक बार हमारी नज़र भी ग़लती से तुम्हारी स्कर्ट के नीचे चली गयी थी.”
“हाई राम! ना जाने क्या दिखा होगा आपको ?” मैं पापा के लॉड को बारे प्यार से सहलाते हुए बोली.
“अब बेटी तुम बैठती ही इतनी लापरवाही से थी कि तुम्हारी स्कर्ट के नीचे से सब दिख जाता था.”
“ हाई 16 साल की उमर में आपने हमारा सब कुच्छ देख लिया ?”
ये कहते हुए पापा ने मेरी चूत छोड़ के मेरे खुले हुए ब्लाउस के नीचे से हाथ डाल के चूचिओ को पकड़ लिया और सहलाते हुए बोले,
“ कंचन तुम तो ऊपर से भी बिल्कुल मम्मी जैसी हो. अब हमे समझ में आया कि हम तुम्हें बार बार मम्मी क्यों समझ लेते हैं. लेकिन तुम्हारी छातियाँ तो सुचमुच बहुत सुन्दर और कसी हुई हैं.”
“इससस्स….आअहह…. धीरे प्लीज़…” पापा पीछे से मेरे साथ चिपके हुए थे और मेरी बड़ी बड़ी चूचिओ को सहला रहे थे. उनका तना हुआ मोटा लंड मेरे चूतरो की दरार में घुसा हुआ था और मेरी पॅंटी को भी मेरे चूतरो के बीच की दरार में घुसेड दिया था. मैं भी पापा का लंड पकड़ना चाहती थी.
“ऊओफ़.. पापा ये क्या चुभ रहा है ?”
ये कहते हुए मैं हाथ पीछे की ओर ले गयी और पापा के लंड को पकड़ लिया जैसे कि मैं चेक करना चाहती हूँ कि क्या चुभ रहा है. पापा का लंड हाथ में आते ही मैने हाथ एकदम वापस खींच लिया.
“हाई राम ! पापा ! आपका तो खड़ा हुआ है. हे भगवान ! कहीं आपका अपनी बेटी के लिए तो नहीं खड़ा है ?” मैं झूठा गुस्सा करते हुए बोली.
“नहीं नहीं बेटी, देखो आज हम 15 दिन के बाद वापस आए हैं और कल फिर दो महीने के लिए चले जाएँगे. तुम तो शादीशुदा हो और समझदार हो. अगर तुम्हारा पति इतने दिनों के बाद वापस आए और उसे अगले दिन फिर दो महीने के लिए जाना हो तो वो तुम्हारे साथ क्या करेगा ?”
जी हमें क्या पता ?”
“अब क्यों भोली बनती हो, बोलो ना.”
“जी कैसे बोलें हमे तो बहुत शरम आ रही है.”
“बेटी अपने पापा से क्या शरमाना. बोलो , जबाब दो”
“जी वो तो….वो तो……हमारा मट्लब है…”
“अरे शरमाओ नहीं बोलो.”
“जी वो तो सारी रात ही……”
“सारी रात क्या बेटी ?”
“जी हमारा मतलब है कि वो तो सारी रात हमे तंग करते.”
“ कैसे तंग करता बेटी ?”
“ जैसे एक मरद अपनी बीवी को करता है.”
“ ओ ! अगर वो तुम्हें सारी रात तंग करता तो तुम उसे तंग करने देती ?”
“जी ये तो उनका हक़ है. हम कौन होते हैं उन्हें रोकने वाले.”
“ तुम्हारा मट्लब है तुम उसे इसलिए तंग करने देती क्यूंकी ये उसका हक़ है, इसलिए नहीं कि तुम्हें भी तंग होने में मज़ा आता है ? बोलो ?”
“ तंग होने में तो हर औरत को मज़ा आता है.”
“ तो तुम्हें तंग करने के लिए उसका खड़ा तो होता होगा ना बेटी ?”
“ कैसी बातें करते हैं पापा ? बिना खड़ा हुए कैसे तंग कर सकते हैं ?”
“ बस ये ही तो हम भी तुमसे कहना चाहते हैं. हमारा भी इसीलिए खड़ा है क्योंकि हम भी आज तुम्हारी मम्मी को तंग करना चाहते थे. लेकिन तुमने तो हाथ ऐसे खींच लिया जैसे ये तुम्हें काट खाएगा. तुम भी देख लो कि हमारा ये तुम्हारी मम्मी के लिए कितना परेशान है.” ये कहते हुए पापा ने मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया. मेरी तो मानो बरसों के मुराद पूरी हो गयी. मैं शरमाने का नाटक करती हुई बोली,
“ हाई पापा ये क्या कर रहे हैं हमे तो बहुत शरम आ रही है.”
“ बेटी शरम की क्या बात है ? किसी मरद का पहली बार तो पकड़ नहीं रही हो. ठीक से पाकड़ो ना. तुम्हें अक्च्छा नहीं लगा हमारा ?”
बाप रे ! क्या मोटा लॉडा था. इतना मोटा की मेरी उंगलिओ के घेरे में भी नहीं आ रहा था. मैं उनके लॉड पे हाथ फेरते हुए बोली,
“हाई राम! ये तो कितना मोटा है!”
“पसंद नहीं आया?”
“ नहीं पापा आपका तो बहुत अक्च्छा है. लेकिन सच ! ये तो बहुत ही मोटा है !”
“तुम्हारे पति का ऐसा नहीं है ?”
“ जी इतना मोटा नहीं है. बेचारी मम्मी कैसे झेलती है इसे ?”
“ हाई बेटी क्या बताएँ, तुम्हारी मम्मी तो इसे बहुत प्यार करती है. सच वो इसके बिना रह नहीं सकती है. काश इस वक़्त वो यहाँ होती. लेकिन कोई बात नहीं हमारी प्यारी बिटिया तो है ना हमारे पास.” अब मैं पापा के मोटे लॉड को बड़े प्यार से सहला रही थी. अब मैने पापा की ओर करवट ले ली थी. पापा भी मेरी चूचिओ को सहला रहे थे. मैं पापा के लॉड को दबाते हुए बोली,
“ हाई पापा आप तो ऐसे कह रहे हैं जैसे बीवी नहीं तो बेटी ही चलेगी.”
“ क्यों नहीं चलेगी ? बेटी बिल्कुल बीवी जैसी ही तो लगती है. लेकिन लगता है हमारी बेटी को हमारा पसंद नहीं आया.”
“नहीं पापा हमे तो आपका बहुत पसंद आया. हम तो सोच रहे हैं कि इस मोटे राक्षस ने तो अब तक बेचारी मम्मी की उसको बहुत चौड़ा कर दिया होगा.”
“ नहीं बेटी हम 25 साल से तुम्हारी मम्मी को चोद रहे हैं लेकिन अभी तक उसकी बहुत टाइट है.” पापा ने पहली बार चोदने जैसे शब्द का इस्तेमाल किया. मैं समझ गयी कि पापा अब धीरे धीरे लाइन पे आ रहे थे.
“ सच पापा, काश हम आपकी बेटी ना हो के आपकी बीवी होते !. हम आपको आज इस तरह तड़पने नहीं देते.”
पापा मेरे विशाल चूतरो पे हाथ फेरते हुए बोले,
“ बेटी हम तो तुम्हें बिकुल मम्मी ही समझ रहे हैं. देखो ना तुम्हारे ये विशाल नितूंब बिल्कुल मम्मी की तरह ही फैले हुए हैं. और ये तुम्हारी पॅंटी भी इनके बीच में ठीक मम्मी की पॅंटी की तरह ही घुसी जा रही है.” पापा ने पॅंटी के ऊपर से ही एक उंगली मेरी गांद के छेद पे टिका दी.
“ इसस्सस्स…पापा ! ये पॅंटी अपने आप हमारे नितुंबों के बीच में नही घुसी जा रही है. इसे तो आपके इस डंडे ने धकेल के हमारे नितुंबों के बीच में घुसेड दिया है. अक्च्छा हुआ हमने पॅंटी पहनी हुई है नहीं तो राम जाने आज आपका ये मोटा डंडा कहीं और ही घुस जाता.”
“ अक्च्छा होता अगर घुस जाता. आख़िर अंजाने में ही तो घुसता.” पापा ने अब मेरी पॅंटी के अंडर हाथ डाल के मेरे चूतरो को सहलाना शुरू कर दिया था.
“ कंचन एक बात पूच्छें, बुरा तो नहीं मानोगी ?”
“ नहीं पापा पूच्हिए ना. बुरा क्यों मानेंगे ?”
“ बेटी जब तुम 10थ में थी तब एक बार तुम्हारी मम्मी ने हमे बताया था कि तुम्हारी चूत पे बहुत घने और लंबे बाल हैं. क्या ये बात सच है? हम इस लिए पूछ रहे हैं क्योंकि आज भी जब हम आए तो तुम्हारी फैली हुई टाँगों के बीच में से , पॅंटी से बाहर निकले हुए तुम्हारी चूत के बाल नज़र आ रहे थे.” अब तो पापा खुल के चूत जैसे शब्द इस्तेमाल करने लगे. शायद वासना की आग और शराब के नशे का असर था. पापा के मुँह से अपनी चूत की बात सुन के मेरे तन बदन में वासना की आग लग गयी. मैं बहुत भोले स्वर में बोली,
“जी पापा, हम क्या करें, बचपन से ही हमारे वहाँ बहुत घने बाल हैं. 12 साल की उमर में ही खूब बाल आ गये थे. और 16 साल की होते होते तो बिल्कुल जंगल ही हो गया था. हमारी सहेलियाँ हमे चिढ़ाती थी कि क्या जंगल उगा रखा है. हमे तो स्कूल में भी बहुत शरम आती थी. हमेशा बाल पॅंटी से बाहर निकले रहते थे और लड़के हमारी स्कर्ट के नीचे झाँकने की कोशिश करते थे.”
“ हाई कितने नालायक थे ये लड़के जो हमारी बेटी की स्कर्ट के नीचे झाँकते थे. वैसे बेटी जब तुम 16 साल की थी तो एक बार हमारी नज़र भी ग़लती से तुम्हारी स्कर्ट के नीचे चली गयी थी.”
“हाई राम! ना जाने क्या दिखा होगा आपको ?” मैं पापा के लॉड को बारे प्यार से सहलाते हुए बोली.
“अब बेटी तुम बैठती ही इतनी लापरवाही से थी कि तुम्हारी स्कर्ट के नीचे से सब दिख जाता था.”
“ हाई 16 साल की उमर में आपने हमारा सब कुच्छ देख लिया ?”
“ अरे नहीं बेटी सब कुच्छ कहाँ दिखा. हां तुम्हारी पॅंटी ज़रूर नज़र आ रही थी. सिर्फ़ पॅंटी नज़र आती तब भी हम ध्यान नहीं देते लेकिन पॅंटी में कसी हुई तुम्हारी चूत का उभार तो हम देखते ही रह गये. हम तो सोच भी नहीं सकते थे कि 16 साल की उमर में ही हमारी बेटी की चूत इतनी फूली हुई होगी. सच हम तो उसी दिन से अपनी बिटिया रानी के दीवाने हो गये थे.” शराब का नशा और वासना की आग में अब पापा बिना किसी झिझक के अपनी बेटी की चूत के बारे में बातें कर रहे थे. मेरे पास उनसे सब कुच्छ उगलवाने का बहुत अच्छा मोका था.
“झूट ! बिल्कुल झूट. आप तो हमेशा मम्मी के ही आगे पीछे घूमते रहते थे. हमारी तरफ तो आपने कभी देखा ही नहीं. हम कब जवान हुए और कब हमारी शादी हो गयी, आपको तो पता ही नहीं चला होगा.” मैं पापा के बारे बारे बॉल्स सहलाते हुए बोली.
“ नहीं बेटी, ऐसा ना कहो. तुम्हारी बड़ी होती चूचिओ पे तो हमारी नज़र बहुत पहले से ही थी लेकिन जिस दिन पॅंटी में कसी हुई तुम्हारी फूली हुई चूत देखी तब से तो हम तुम्हारी चूत के भी दीवाने हो गये. हमेशा तुम्हारी स्कर्ट के नीचे झाँकने का मोका ढूढ़ते थे. लेकिन ये सब तुम्हारी मम्मी की नज़र बचा के करना आसान नहीं था. बाथरूम में जा के तुम्हारी उतारी हुई पॅंटी को एक बार जब सूँघा तो ज़िंदगी में पहली बार एक कुँवारी चूत की खुश्बू का नशा कैसा होता है, पता चला. सच हमारी बिटिया रानी की चूत की खुश्बू हमे पागल बना देती थी. और तुम्हारी झांतों के लंबे लंबे बाल भी कभी कभी तुम्हारी पॅंटी में लगे मिलते थे. हम तो वो दिन कभी भुला नहीं सकते. ज़रा देखें हमारी बिटिया की चूत पे अब भी उतने ही बाल हैं की नहीं.” ये कहते हुए पापा ने मेरी पॅंटी नीचे सरका दी और मेरी घनी झांतों में हाथ फेरने लगे.
“ इसस्स्सस्स…आआआआअ…..बहुत लंबे हैं ना बाल पापा ?”
“ हां बेटी बहुत ही घने हैं. जब औरत नंगी हो जाती है तो औरत की चूत के बाल ही उसकी लाज होते हैं, उसका गहना होते हैं और उसका शृंगार होते हैं.”
“ लेकिन पापा, मम्मी की में और हमारी में ऐसा क्या फरक था ? सभी औरतों की एक ही सी तो होती है.”
“तुम नहीं समझोगी बेटी. एक कुँवारी चूत और कई बार चुदी हुई चूत की खुश्बू में बहुत फरक होता है. सच तुम्हारी कुँवारी चूत की खुश्बू ने तो हमे पागल कर दिया था. जिस दिन स्कर्ट के नीचे से तुम्हारी पॅंटी में कसी हुई चूत की झलक मिल जाती हम धन्य हो जाते.” पापा मेरी चूत को ज़ोर से मसल्ते हुए बोले.
“ इसस्स..आऐ….अगर आपको हमारी इतनी अच्छी लगती थी तो कभी लेने की इच्छा नहीं हुई ?”
“ बहुत मन करता था. लेकिन अपनी 16 साल की फूल सी बेटी की कुँवारी चूत लेते हुए डर भी लगता था. और फिर तुम्हारी मम्मी भी हमेशा घर में होती थी.”
“ झूट ! जिसका लेने का दिल करता है वो किसी भी तरह ले लेता है. आप हमारी लेना ही नहीं चाहते होंगे. मम्मी की तो आप रोज़ लेते थे और कभी कभी तो सारी सारी रात लेते थे.”
“ ये सब तुम्हें कैसे पता बेटी ?”
“ मम्मी की मुँह से आवाज़ें जो आती थी.”
“ किसी आवाज़ें ?”
“ वैसी आवाज़ें जो एक औरत के मुँह से उस वक़्त निकलती हैं जब कोई दमदार मरद उसकी ले रहा होता है.” मैं पापा के मोटे लॉड को दबाते हुए बोली. “और उस वक़्त तो आपको अपनी बेटी की याद भी नहीं आती होगी.”
“बेटी तुम्हारी कसम, जब से तुम्हारी पॅंटी में कसी हुई चूत के दर्शन हुए तब से हम चोदते तुम्हारी मम्मी को ज़रूर थे लेकिन ये सोच सोच के कि हम अपनी 16 साल की प्यारी बिटिया की कुँवारी चूत चोद रहे हैं. एक बार तो मम्मी को चोदते हुए हमारे मुँह से तुम्हारा नाम भी निकल गया . बड़ी मुश्किल से हमने बात पलटी थी नहीं तो तुम्हारी मम्मी को शक हो जाता.” पापा के चूत पे हाथ फेरने से मेरी चूत बुरी तरह गीली हो चुकी थी और चूत का रस बाहर निकल कर मेरी झांतों को भी गीला कर रहा था. पापा की उंगलियाँ भी शायद चूत के रस में गीली हो गयी थी क्योंकि अचानक पापा ने एक उंगली मेरी गीली चूत में सरका दी.
“ऊऊिइ….इससस्स…पापा ! … अगर आपने सचमुच हमारी 16 साल की उमर में ले ली होती तो आज हमारी वो किसी और के लायक नहीं रह जाती.”
“ऐसा क्यों कहती हो कंचन ?”
“आपका ये कितना मोटा है. हमारी कुँवारी चूत का क्या हाल कर देता. कभी सोचा भी है ? हमारे पति को सुहाग रात को ही पता चल जाता.” अब तो मैने भी ‘चूत’ जैसे शब्द का इस्तेमाल कर लिया. मैं जानती थी कि लोहा अब काफ़ी गरम था.
“तभी तो हमने अपनी बिटिया की उस वक़्त नहीं ली.” पापा ने इस बार मेरे होंठों को चूमते हुए कहा.
“लेकिन अब तो हम शादीशुदा हैं.”
“क्या मतलब?”
“पापा, 16 साल की उमर में आप अपनी बेटी की लेना चाहते थे, लेकिन अब अपनी बेटी की लेने का मन नहीं करता?”
“बहुत करता है बेटी.”
“तो फिर ले क्यूँ नहीं लेते अपनी प्यारी बिटिया की चूत? देखिए ना आपके मोटे लॉड के लिए कितना तरस रही है.”
“तुम तो हमारी बेटी हो.” पापा थोड़ा हिचकिचाए. लेकिन मैं अच्छी तरह जानती थी कि अपनी बेटी को चोदने के लिए वो हमेशा से ही पागल थे.
“ओफ! पापा बेटी के पास चूत नहीं होती क्या? अच्छा चलिए हमें मम्मी समझ के चोद लीजिए.”
“नहीं, नहीं मम्मी समझ के क्यों, हम अपनी बेटी को बेटी समझ के ही चोदेन्गे.” ये कहते हुए पापा ने मेरे पेटिकोट का नाडा खींच लिया और पेटिकोट को मेरे बदन से अलग कर दिया. फिर उन्होने मेरा ब्लाउस भी उतार दिया. अब पापा पागलों की तरह मेरे बदन को और चूचिओ को चूमने और चाटने लगे. मेरे मुँह से भी वासना से भरी सिसकारियाँ निकलने लगी.
“कंचन बेटी तुम्हारा बदन तो बिल्कुल वैसा है जैसा तुम्हारी मम्मी का सुहाग रात के वक़्त था.”
“हाई पापा, अपनी सुहाग रात समझ के अपनी बेटी को चोद लीजिए.” धीरे धीरे पापा मेरे बदन को चूमते हुए मेरी टाँगों के बीच में पहुँच गये.
“ईइस्स्स...अया...पापा मेरी इस पॅंटी ने ही तो आपको इतना तंग किया है ना, उतार दीजिए अपनी बेटी की पॅंटी अपने हाथों से.”
“हाँ बेटी तुम्हारी इस पॅंटी ने तो बरसों से मेरी नींद हराम कर रखी है. आज तो मैं इसे अपने हाथों से उतारूँगा.” ये कहते हुए पापा ने मेरी पॅंटी खींच के मेरी टाँगों से निकाल दी. अब मैं बिल्कुल नंगी पापा के सामने टाँगें फैलाए पड़ी हुई थी. पापा ने मेरी टाँगें चौड़ी की और अपने होंठ मेरी जलती हुई चूत पे टिका दिए. मैं आज अपने ही बाप से चुदने जा रही थी, ये सोच के मेरी वासना की आग और भी भड़क रही थी. मैने चूतेर उचका के अपनी चूत पापा के होंठों पे रगड़ दी. अब तो पापा पागलों की तरह मेरी चूत चाट रहे थे. आज तक तो सिर्फ़ मेरी पॅंटी सूंघ कर ही मेरी चूत की खुश्बू लेते थे, लेकिन आज तो असली चीज़ सामने थी. मैं पापा का सिर अपनी चूत पे दबाते हुए बोली,
“पापा, किसकी खुश्बू ज़्यादा अच्छी लगी, मेरी पॅंटी की या चूत की?”
“अरे बिटिया, दोनो ही बहुत मादक हैं. पति के घर जाने से पहले अपनी पॅंटी हमें ज़रूर देती जाना.”
“हाई पापा, अब तो ये चूत और पॅंटी दोनो आपकी है, जब मन करे ले लीजिए.” काफ़ी देर चूत चाटने के बाद पापा खड़े हुए और अपने मोटे लॉड का सूपड़ा मेरे होंठों पे टीका दिया. मैने जीभ निकाल के सुपरे को चॅटा और फिर पूरा मुँह खोल के उस मोटे काले मूसल को मुँह में लेने की कोशिश करने लगी. बड़ी मुश्किल से मैने उनका लंड मुँह में लिया. पापा का लंड चूस के तो मैं धन्य हो गयी. आज तक तो इस मूसल को सिर्फ़ मम्मी ने ही चूसा था. सपनों में तो मैं ना जाने कितनी बार चूस चुकी थी. पापा मेरे मुँह को पकड़ के मेरे मुँह को चोदने लगे. उनके मोटे मोटे बॉल्स नीचे पेंडुलम की तरह झूल रहे थे. फिर उन्होने मेरे मुँह से लंड निकाला और मेरे होंठों को चूमते हुए बोले,
“कंचन मेरी जान, अब अपनी प्यारी चूत को चोदने दो.” मैने चुदवाने की मुद्रा में अपनी टाँगें चौड़ी कर के मोड़ ली. अब मेरी चूत पापा के सामने थी.
“लीजिए पापा, अब मेरी चूत आपके हवाले है.” पापा ने अपना मोटा सुपरा मेरी चूत के मुँह पे टीका दिया. मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धक धक करने लगा. आख़िर वो घड़ी भी आ गयी थी जब पापा का लंड मेरी चूत में जाने वाला था. पापा ने लॉड के सुपरे को मेरी चूत के कटाव पे थोड़ी देर रखा और फिर धीरे से मेरी चूत में दाखिल कर दिया. मेरी आखों के सामने तो जैसे अंधेरा सा च्छा गया.
क्रमशः.........
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