"बहुत बड़ा है बहु?" रामलाल कन्चन की बात पूरी करता हुआ बोला। अब रामलाल का हाथ फिसल कर कन्चन के नितम्बों पे आ गया था।
"ज्ज्जी.....।" कन्चन सिर नीचे किये हुए बोली।
"ओह! तो इसका इतना बड़ा देख के डर गयी? कुछ मर्दों का भी गधे जैसा ही होता है बहु। इसमें डरने की क्या बात है ? जब औरत बड़े से बड़ा झेल लेती हई, फिर ये तो गधी है।"
कन्चन का चेहरा शरम से लाल हो गया था। वो बोली, "चलिये पिताजी वापस चलते हैं, हमें बहुत शरम आ रही है।"
"क्यों बहु वापस जाने की क्या बात है? तुम तो बहुत शर्माती हो। बस दो मिनट में इस गधे का काम खत्म हो जाएगा फिर खेत में चलेंगे।"
बातों बातों में रामलाल एक दो बार कन्चन के नितम्बों पे हाथ भी फेर चुका था। रामलाल का लंड कन्चन के मुलायम नितम्बों पर हाथ फेर के खड़ा होने लगा था। वो कन्चन की पैंटी भी फ़ील कर रहा था। कन्चन क्या करती? घूंघट में से गधे को अपना लंड गधी के अन्दर पेलते हुए देखती रही। इतना लम्बा लंड गधी के अन्दर बाहर जाता देख उसकी चूत पे भी चीटियां रेंगने लगी थी।
कन्चन को रामलाल का हाथ अपने नितम्बों पर महसूस हो रहा था। इतनी भोली तो थी नहीं। दुनियादारी अच्छी तरह से समझती थी। वो अच्छी तरह समझ रही थी की ससुर जी मौके का फायदा उठा के सहानुभूति जताने का बहाना करके उसकी पीठ और नितम्बों पे हाथ फेर रहे हैं। इतने में गधा झड़ गया और उसने अपना तीन फ़ुट लम्बा लंड बाहर निकाल लिया। गधे के लंड में से अब भी वीर्य गिर रहा था।
ससुर जी ने दोनों गधों को रास्ते से हटाया और कन्चन के चूतड़ों पे हथेली रख कर उसे आगे की ओर हल्के से धक्का देता हुआ बोले, "चलो बहु अब हम खेत चलते हैं।"
"चलिये पिताजी।"
"बहु मालूम है तुम्हारी सासु मां भी मुझे गधा बोलती है।"
"हां! क्यों? आप तो इतने अच्छे हैं।"
"बहु तुम तो बहुत भोली हो। वो तो किसी और वजह से मुझे गधा बोलती है।"
अचानक कन्चन रामलाल का मतलब समझ गयी। शायद ससुर जी का लंड भी गधे के लंड के माफ़िक लम्बा था तभी सासु मां ससुर जी को गधा बोलती थी। इतनी सी बात समझ नहीं आयी ये सोच कर कन्चन अपने आप को मन ही मन कोसने लगी। कन्चन सोच रही थी की ससुर जी उससे कुछ ज़्यादा ही खुल कर बातें करने लगे हैं। इस तरह की बातें बहु और ससुर के बीच तो नहीं होती हैं। बात बात में प्यार जताने के लिये उसकी पीठ और नितम्बों पे भी हाथ फेर देते थे। थोड़ी ही देर में दोनों खेत में पहुंच गये।
रामलाल ने कन्चन को सारा खेत दिखाया और खेत में काम करने वाली औरतों से भी मिलवाया। कन्चन थक गयी थी इसलिये रामलाल ने उसे एक आम के पैर के नीचे बैठा दिया।
"बहु तुम यहां आराम करो मैं किसी औरत को तुम्हारे पास भेजता हूं। मुझे थोड़ा पम्प हाउस में काम है।"
"ठीक है पिताजी मैं यहां बैठ जाती हूं।"
रामलाल पम्प हाउस में चला गया। पम्प हाउस में रामलाल ने दूरबीन रखी हुई थी। इस दूरबीन से वो खेत की रखवाली तो करता ही था पर साथ साथ खेत में काम करने वाली औरतों को भी देखता था। कभी कोई औरत पेशाब करने जाती या लापरवाही से बैठती तो रामलाल उसकी चूत के दर्शन करने से कभी नहीं चूकता। आज उसका इरादा बहु की चूत देखने का था। रामलाल दूरबीन से उस पेड़ के नीचे देखने लगा जहां बहु बैठी थी। बहु बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। लेकिन उसकी चूत के दर्शन होने का कोई चांस नहीं लग रहा था। रामलाल मन ही मन मना रहा था की बहु पेशाब करने जाए और पम्प हाउस की ओर मुंह करके बैठे ताकि उसकी चूत के दर्शन हो सकें। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। रामलाल काफ़ी देर तक कन्चन को दूरबीन से देखता रहा। आखिर वो अपनी कोशिशों में कामयाब हो गया। बहु ने बैठे बैठे टांगें मोड़ ली। जब औरतों के आस पास कोई नहीं होता है तो थोड़ी लापरवाह हो जाती हैं। जिस तरह से बहु बैठी हुई थी रामलाल को लहंगे के नीचे से उसकी गोरी गोरी टांगें और टांगों के बीच में सब कुछ नज़र आने लगा। रामलाल के दिल की धड़कन बढ़ गयी। बहु की मांसल जांघों के बीच बहु की चूत पे कसी हुई सफ़ेद रंग की कच्छी नज़र आ रही थी। रामलाल ने दूरबीन को ठीक बहु की चूत पे फ़ोकस किया। ऊफ क्या फूली हुई चूत थी। चूत पे कसी हुई कच्छी का उभार बता रहा था कि बहु की चूत बहुत फूली हुई थी। कच्छी के दोनों ओर से काली काली झांटें नज़र आ रही थी। यहां तक की बहु की चूत का कटाव भी साफ़ नज़र आ रहा था क्युंकि कच्छी चूत की दोनों फांकों के बीच में फंसी हुई थी। रामलाल का लौड़ा खड़ा होने लगा। अचानक बहु ने ऐसा काम किया की रामलाल का लंड बुरी तरह से फनफनाने लगा। बहु ने अपना लहंगा उठा लिया और अपनी टांगों के बीच में देखने लगी। शायद कोई चींटा लहंगे में घुस गया था। ऊफ क्या कातिलाना टांगें थी। मोटी मोटी गोरी गोरी जांघों के बीच छोटी सी कच्छी बहु की चूत बड़ी मुश्किल से ढक रही थी। बहु ने लहंगे के अन्दर ठीक से देखा और लहंगे को झाड़ा। फिर अपनी चूत को कच्छी के ऊपर से सहलाया और खुजाया। रामलाल को लगा की कहीं चींटा बहु की कच्छी के अन्दर तो नहीं घुस गया। बहुत किस्मत वाला चींटा होगा। बहु की इस फूली हुई चूत को चींटे की नहीं एक मोटे लम्बे लौड़े की ज़रूरत थी। ऐसी बातें सोच सोच कर और कच्छी के अन्दर कसी हुई बहु की चूत को देख देख कर रामलाल मुट्ठ मारने लगा और झड़ गया। थोड़ी देर में वो पम्प हाउस से बाहर निकला और कन्चन के पास गया। कन्चन उसके आने की आहट सुन कर अपना लहंगा ठीक करके बैठ गयी थी। दोनों ने पेड़ के नीचे बैठ कर खाना खाया और फिर घर चले गये।
एक दिन कन्चन की कमर में दर्द हो रहा था। सासु मां ने मालिश करने वाली को बुलाया। मालिश करने वाली का नाम कमला था और वो भी खेतों में ही काम करती थी। काफ़ी मोटी तगड़ी और काली कलूटी थी। बिल्कुल भैंस दिखाती थी। जब उसने कन्चन की मालिश की तो कन्चन को पता लगा की कमला के हाथ में तो जादू था। इतनी अच्छी तरह से मालिश हुई की कन्चन का दर्द एकदम दूर हो गया। सासु मां ने बताया की कमला गावं में सबसे अच्छी मालिश करती है।
हालांकि कमला भैंस की तरह मोटी थी और दिखने में अच्छी नहीं थी लेकिन स्वभाव की बहुत अच्छी और हंसमुख थी। कन्चन से उसकी बहुत जल्दी दोस्ती हो गयी।
कमला ने कन्चन से कहा, "बहु रानी आपको जब भी मालिश करवानी हो आप खेत में भी आ सकती हो। मैं वहीं काम करती हूं। वहां एक झोपड़ी है मैं आपकी मालिश कर दिया करुंगी।"
"ठीक है कमला मैं परसों आउंगी। तुम सारे बदन की मालिश कर देना।"
कमला ही रामलाल के लिये खेतों में काम करने वाली औरतों को पटा के लाया करती थी।
कन्चन अपने वादे के मुताबिक खेत में पहुंच गयी। कमला उसे एक घास फूस की छोटी सी झोपड़ी में ले गयी। झोपड़ी में दो कमरे थे। एक कमरे में एक चारपायी पड़ी हुई थी। कमला ने कन्चन से कहा, "बहु रानी इस चारपायी पे लेट जाओ। आज मैं आपकी अच्छी तरह मालिश कर दूंगी। मेरे जैसा मालिश करने वाला इस गावं में कोई नहीं है।"
"अरे कमला अपनी तारीफ़ ही करती रहेगी या मालिश करके भी दिखायेगी।"
"बहु रानी आप लेटो तो।" कन्चन चारपायी पर लेट गयी।
कमला ने सरसों का तेल निकाला और कन्चन से कहा, "बहु रानी, ये कपड़े पहनी रहोगी तो मालिश कैसे होगी?"
"हाय! कपड़े कैसे उतार दूं? कोई आ गया तो?"
"आप कहो तो कपड़ों के ऊपर ही तेल लगा दूं।"
"हट पागल। दरवाज़ा तो बन्द कर ले।"
"अरे बहु रानी आप डरो मत यहां कोई नहीं आता है।"
"नहीं, नहीं तू पहले दरवाज़ा बन्द कर।" कमला ने दरवाज़ा बन्द कर दिया।
"चलिये बहु रानी अब कपड़े तो उतार दीजिये, नहीं तो मालिश कैसे होगी?"
कन्चन उठ कर खड़ी हो गयी और शर्माते हुए अपना ब्लाउज उतार दिया। कन्चन की मोटी मोटी चूचिआं अब ब्रा में कैद थी।
कमला कन्चन के लहंगे का नाड़ा खींचती हुई बोली, "इसे भी तो उतार दीजिये।"
इससे पहले की कन्चन संभलती उसका लहंगा उसके पैरों में पड़ा हुआ था। अब कन्चन सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी। कन्चन के इस कदर खूबसूरत और मांसल जिस्म को देख कर कमला भी चकित रह गयी। क्या ज़बर्दस्त जवानी थी।
ये क्या किया तूने कमला?" कन्चन एक हाथ से अपनी चूचिआं और एक हाथ से अपनी चूत को ढकने की कोशिश करते हुए बोली।
"अरे बहु रानी आप तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे किसी मर्द के सामने कपड़े उतारे हों। जिस चीज़ को ढकने की कोशिश वो तो पहले से ही आपकी ब्रा और कच्छी में ढकी हुई है। शर्माओ नहीं बहु रानी मेरे पास भी वही है जो आपके पास है। चलो अब लेट जाओ।"
कन्चन पेट के बल चारपायी पे लेट गयी। कमला ने उसकी मालिश शुरु कर दी। बहुत ही अच्छी तरह से मालिश करती थी। कन्चन को धीरे धीरे एक नशा सा आने लगा। उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
कमला ने पहले उसकी पीठ की मालिश की। कभी साईड से हाथ डाल कर ब्रा के अन्दर से उसकी चूचिओं को भी हल्के से मसल देती और कन्चन की सिसकी निकल जाती। फिर कमला ने कन्चन की ब्रा का हुक पीछे से खोल दिया।
"ये क्या कर रही है कमला?"कन्चन ने बनावटी गुस्से में कहा।
"कुछ नहीं बहु रानी, पीठ पे मालिश ठीक से नहीं हो पा रही थी इसलिये खोल दिया।" कन्चन को मालिश करवाने में बहुत मज़ा आ रहा था। अब कमला ने कन्चन की टांगों की मालिश भी शुरु कर दी। मालिश करते करते जांघों तक पहुंच गयी। कन्चन की टांगें अपने आप ही खुल गयी। कमला को अब कन्चन की मांसल जांघों के बीच में कच्छी के अन्दर कसी हुई चूत नज़र आ रही थी। इतनी फूली हुई चूत तो आज तक उसने नहीं देखी थी। कच्छी के दोनों ओर से लम्बे लम्बे काले बाल झांक रहे थे। कमला ने कन्चन की चूत के बिल्कुल नज़दीक मालिश करानी शुरु कर दी। अब तो कन्चन उत्तेजित होती जा रही थी। एक बार तो कमला ने शरारत करते हुए कच्छी से बाहर निकले हुए बालों को खींच दिया।
"ऊइइइ। क्या कर रही है कमला?"
"कुछ नहीं बहु रानी, आपके बाल हैं ही इतने लम्बे। मालिश करते पे खींच गये।"
"तू बहुत खराब है कमला!"
"वैसे बहु रानी टांगों के बीच के बाल औरत की खूबसूरती पे चार चान्द लगा देते हैं। मर्द लोग तो इनके पीछे पागल हो जाते हैं।"
"अच्छा! तू तो ऐसे बोल रही है जैसे बहुत सारे मर्दों को जानती है।"
"बहुत सारे मर्दों को तो नहीं पर कुछ असली मर्दों को ज़रूर जानती हूं।"
"क्यों मर्द नकली भी होते हैं क्या? असली मर्द का क्या मतलब?"
"असली मर्द वो होता है बहु रानी जिसके अन्दर औरत को तृप्त करने की शक्ति होती है। उनमें से एक मर्द तो आपके ससुर जी ही हैं।" ये सुन कर तो मानो कन्चन को झटका सा लगा।
"तुझे मालूम है तू क्या कह रही है? पागल तो नहीं हो गयी है?"
कमला कन्चन की चूत के एकदम पास मालिश करती हुई बोली, "बहु रानी, मैं गलत क्यों बोलूंगी? सचमुच आपके ससुर जी सच्चे मर्द हैं। बिल्कुल गधे के जैसा है उनका।"
"क्या मतलब? क्या गधे के जैसा है?"
"हां बहु रानी अब ये भी बताना पड़ेगा? अरे! आपके ससुर जी का लंड बिल्कुल गधे के लंड के माफ़िक लम्बा है।" कमला मालिश करते हुए पैंटी के साईड से उन्गलियां अन्दर डाल कर कन्चन की चूत की एक फांक को मसलते हुए बोली। कन्चन की चूत तो अब गीली होने लगी थी।
"आआआअह! ये क्या कर रही है ? ऐसे गन्दे शब्द बोलते तुझे शरम नहीं आती ?"
"इसमें गन्दा क्या है बहु रानी? मर्द की टांगों के बीच में जो लटकता है उसे लंड नहीं तो और क्या कहते हैं?"
"अच्छा, अच्छा! लेकिन तुझे कैसे मालूम की उनका इतना बड़ा है?"
"क्या कितना बड़ा है बहु?" कमला कन्चन को छेड़ते हुए बोली।
"ओफ़्फ़ो! लंड और क्या?"
"हां अब हुई ना बात। ये तो राज़ की बात है। आपको कैसे बता सकती हूं?"
"तुझे मेरी कसम बता ना।"
"ठीक है बता दूंगी लेकिन आप फिर कहोगी कैसी गन्दी बात कर रही हो।"
"नहीं कहूंगी। अब जल्दी बता ना।" कन्चन की चूत पे चीटियां रेंगने लगी थी।
"अच्छा बताती हूं। आप ज़रा अपनी कच्छी तो नीचे करो, आपके नितम्बों की मालिश कैसे करुंगी?" ये कहते हुए कमला ने कन्चन की पैंटी नीचे सरका दी। कन्चन के कुछ कहने से पहले ही उसकी पैंटी अब उसके घुटनों तक सरक गयी थी और कमला ने ढेर सारा तेल कन्चन के चूतड़ों पे डाल दिया था। कन्चन के विशाल नितम्बों को काफ़ी तेल की ज़रूरत थी। तेल गोल गोल चूतड़ों पे से बह कर उनके बीच की दरार में से होता हुआ कन्चन की चूत तक आ गया। चूत के बाल तेल में भीग गये।
"ऊओफ ये क्या कर रही है? मेरी कच्छी ऊपर कर।"
"ऊपर करुंगी तो आपकी कच्छी तेल से खराब हो जाएगी, इसको निकाल ही दो।" यह कहते हुए कमला ने एक झटके में कन्चन की पैंटी उसके पैरों से निकाल दी।
"कमला तूने तो मुझे बिल्कुल ही नंगी कर दिया। कोई आ गया तो क्या होगा?"
"यहां कोई नहीं आएगा बहु रानी। जब आप एक मर्द के सामने नंगी हो सकती हो तो एक औरत के सामने नंगी होने में कैसी शरम?"
"हां कमला मैं किस मर्द के सामने नंगी हुई?"
"क्यों आपके पति ने आपको कभी नंगी नहीं किया?"
"ओह! वो तो दूसरी बात है। पति को तो अपनी बीवी को नंगी करने का हक है।"
"मैं भी तो आपको सिर्फ़ मालिश करने के लिये नंगी कर रही हूं। अब देखना मैं आपकी मालिश कितनी अच्छी तरह से करती हूं। पूरी ज़िन्दगी की थकान दूर हो जाएगी।" अब कमला दोनों हाथों से कन्चन के विशाल चूतड़ों पर मालिश करने लगी। बीच बीच में दोनों चूतड़ों को फैला कर उनके बीच की दरार को भी उंगली से रगड़ देती। ऐसा करते हुए उसकी उंगली कन्चन की गांड के छेद पे भी कई बार रगड़ जाती। जब भी ऐसा होता कन्चन के मुंह से ’आह.. ओह..आअ की आवाज़ें निकल जाती। कन्चन ने टांगें और चौड़ी कर दी थी ताकि कमला ठीक से टांगों के बीच में मालिश कर सके।
"कमला बता ना तू ससुर जी के बारे में क्या कह रही थी?"
"बहु रानी मैं कह रही थी कि आपके ससुर जी का लंड भी गधे के जैसा है। क्या फौलादी लंड है। इतना लम्बा है की दोनों हाथों में भी नहीं आता।"
"ये सब तुझे कैसे पता?"
"मैनें आपके ससुर जी की भी मालिश की है। और खास कर उनके लंड की। सच बहु रानी इतना मोटा और लम्बा लंड मैने कभी नहीं देखा। विश्वास नहीं होता तो खेत में काम करने वाली औरतों से पूछ लो।"
"क्या मतलब है तेरा? खेत में काम करने वाली औरतों को कैसे पता?"
"आप तो बहुत भोली हो बहु रानी। जवानी में आपके ससुर जी ने खेत में काम करने वाली सभी औरतों को चोदा है। जो औरत उन्हें पसन्द आ जाती थी उसे पटा के बाबू जी के पास ले जाना मेरा काम था। दो तीन औरतें तो इतना बड़ा लंड सहन ही नहीं कर सकी और बेहोश हो गयी थी। उनमें से एक तो बाबू जी की साली भी थी।"
"साली को भी...?" कन्चन चौंक के बोली।
"हां बहु रानी बाबू जी ने साली को भी चोदा। १७ साल की लड़की थी। कौलेज में पढ़ती थी। जब बाबु जी ने पहली बार चोदा तो कुंवारी थी। ऊफ ! कितना खून निकला था बेचारी की कुंवारी चूत में से। इतना लम्बा लौड़ा सहन नहीं कर सकी और बेहोश हो गयी थी। अच्छा हुआ बेहोश हो गयी नहीं तो इतना खून देख कर डर जाती। बाबू जी भी डर गये थे। फिर मैंने ही उसकी चूत की सफ़ाई की। बेचारी एक हफ़्ते तक टांगें चौड़ी कर के चलती रही और फिर शहर चली गयी।" कमला भी मज़े ले कर कहानी सुना रही थी। अब उसने कन्चन के चूतड़ों के बीच में से हाथ डाल कर चूत के चारों ओर के बालों में तेल मलना शुरु कर दिया था। एक बार तो चूत को मुट्ठी में ले कर मसल दिया।
"ऊइइइइइइइइआआह्ह्ह्ह,...। इइइस्स्स्स क्या कर रही है कमला? आगे बता ना क्या हुआ? साली नाराज़ हो गई?"
"अरे नहीं। एक बार जिस औरत को मर्द के लम्बे मोटे लौड़े का स्वाद मिल जाता है वो फिर उसके बिना नहीं रह सकती। साली भी कुछ दिन के बाद वापस आ गयी। इस बार तो सिर्फ़ चुदवाने ही आयी थी। उसके बाद तो आपके ससुर जी ने साली जी को रोज़ इसी पम्प हाउस में खूब जम के चोदा। मैं रोज़ आपके ससुर जी के लौड़े की मालिश करके उसे चुदाई के लिये तैयार करती थी। चुदाई के बाद साली जी की सूजी हुई चूत की भी मालिश करके उसे अगले दिन की चुदाई के लिये तैयार करती थी। साली की शादी होने तक बाबू जी ने उसे खूब चोदा। शादी के बाद भी साली जी चुदवाने के लिये आई थी। शायद उनका पति उन्हें तृप्त नहीं कर पता था। लेकिन जब से वो दुबई चली गयी बाबू जी को कोई अच्छी लड़की नहीं मिली।"
"ज्ज्जी.....।" कन्चन सिर नीचे किये हुए बोली।
"ओह! तो इसका इतना बड़ा देख के डर गयी? कुछ मर्दों का भी गधे जैसा ही होता है बहु। इसमें डरने की क्या बात है ? जब औरत बड़े से बड़ा झेल लेती हई, फिर ये तो गधी है।"
कन्चन का चेहरा शरम से लाल हो गया था। वो बोली, "चलिये पिताजी वापस चलते हैं, हमें बहुत शरम आ रही है।"
"क्यों बहु वापस जाने की क्या बात है? तुम तो बहुत शर्माती हो। बस दो मिनट में इस गधे का काम खत्म हो जाएगा फिर खेत में चलेंगे।"
बातों बातों में रामलाल एक दो बार कन्चन के नितम्बों पे हाथ भी फेर चुका था। रामलाल का लंड कन्चन के मुलायम नितम्बों पर हाथ फेर के खड़ा होने लगा था। वो कन्चन की पैंटी भी फ़ील कर रहा था। कन्चन क्या करती? घूंघट में से गधे को अपना लंड गधी के अन्दर पेलते हुए देखती रही। इतना लम्बा लंड गधी के अन्दर बाहर जाता देख उसकी चूत पे भी चीटियां रेंगने लगी थी।
कन्चन को रामलाल का हाथ अपने नितम्बों पर महसूस हो रहा था। इतनी भोली तो थी नहीं। दुनियादारी अच्छी तरह से समझती थी। वो अच्छी तरह समझ रही थी की ससुर जी मौके का फायदा उठा के सहानुभूति जताने का बहाना करके उसकी पीठ और नितम्बों पे हाथ फेर रहे हैं। इतने में गधा झड़ गया और उसने अपना तीन फ़ुट लम्बा लंड बाहर निकाल लिया। गधे के लंड में से अब भी वीर्य गिर रहा था।
ससुर जी ने दोनों गधों को रास्ते से हटाया और कन्चन के चूतड़ों पे हथेली रख कर उसे आगे की ओर हल्के से धक्का देता हुआ बोले, "चलो बहु अब हम खेत चलते हैं।"
"चलिये पिताजी।"
"बहु मालूम है तुम्हारी सासु मां भी मुझे गधा बोलती है।"
"हां! क्यों? आप तो इतने अच्छे हैं।"
"बहु तुम तो बहुत भोली हो। वो तो किसी और वजह से मुझे गधा बोलती है।"
अचानक कन्चन रामलाल का मतलब समझ गयी। शायद ससुर जी का लंड भी गधे के लंड के माफ़िक लम्बा था तभी सासु मां ससुर जी को गधा बोलती थी। इतनी सी बात समझ नहीं आयी ये सोच कर कन्चन अपने आप को मन ही मन कोसने लगी। कन्चन सोच रही थी की ससुर जी उससे कुछ ज़्यादा ही खुल कर बातें करने लगे हैं। इस तरह की बातें बहु और ससुर के बीच तो नहीं होती हैं। बात बात में प्यार जताने के लिये उसकी पीठ और नितम्बों पे भी हाथ फेर देते थे। थोड़ी ही देर में दोनों खेत में पहुंच गये।
रामलाल ने कन्चन को सारा खेत दिखाया और खेत में काम करने वाली औरतों से भी मिलवाया। कन्चन थक गयी थी इसलिये रामलाल ने उसे एक आम के पैर के नीचे बैठा दिया।
"बहु तुम यहां आराम करो मैं किसी औरत को तुम्हारे पास भेजता हूं। मुझे थोड़ा पम्प हाउस में काम है।"
"ठीक है पिताजी मैं यहां बैठ जाती हूं।"
रामलाल पम्प हाउस में चला गया। पम्प हाउस में रामलाल ने दूरबीन रखी हुई थी। इस दूरबीन से वो खेत की रखवाली तो करता ही था पर साथ साथ खेत में काम करने वाली औरतों को भी देखता था। कभी कोई औरत पेशाब करने जाती या लापरवाही से बैठती तो रामलाल उसकी चूत के दर्शन करने से कभी नहीं चूकता। आज उसका इरादा बहु की चूत देखने का था। रामलाल दूरबीन से उस पेड़ के नीचे देखने लगा जहां बहु बैठी थी। बहु बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। लेकिन उसकी चूत के दर्शन होने का कोई चांस नहीं लग रहा था। रामलाल मन ही मन मना रहा था की बहु पेशाब करने जाए और पम्प हाउस की ओर मुंह करके बैठे ताकि उसकी चूत के दर्शन हो सकें। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। रामलाल काफ़ी देर तक कन्चन को दूरबीन से देखता रहा। आखिर वो अपनी कोशिशों में कामयाब हो गया। बहु ने बैठे बैठे टांगें मोड़ ली। जब औरतों के आस पास कोई नहीं होता है तो थोड़ी लापरवाह हो जाती हैं। जिस तरह से बहु बैठी हुई थी रामलाल को लहंगे के नीचे से उसकी गोरी गोरी टांगें और टांगों के बीच में सब कुछ नज़र आने लगा। रामलाल के दिल की धड़कन बढ़ गयी। बहु की मांसल जांघों के बीच बहु की चूत पे कसी हुई सफ़ेद रंग की कच्छी नज़र आ रही थी। रामलाल ने दूरबीन को ठीक बहु की चूत पे फ़ोकस किया। ऊफ क्या फूली हुई चूत थी। चूत पे कसी हुई कच्छी का उभार बता रहा था कि बहु की चूत बहुत फूली हुई थी। कच्छी के दोनों ओर से काली काली झांटें नज़र आ रही थी। यहां तक की बहु की चूत का कटाव भी साफ़ नज़र आ रहा था क्युंकि कच्छी चूत की दोनों फांकों के बीच में फंसी हुई थी। रामलाल का लौड़ा खड़ा होने लगा। अचानक बहु ने ऐसा काम किया की रामलाल का लंड बुरी तरह से फनफनाने लगा। बहु ने अपना लहंगा उठा लिया और अपनी टांगों के बीच में देखने लगी। शायद कोई चींटा लहंगे में घुस गया था। ऊफ क्या कातिलाना टांगें थी। मोटी मोटी गोरी गोरी जांघों के बीच छोटी सी कच्छी बहु की चूत बड़ी मुश्किल से ढक रही थी। बहु ने लहंगे के अन्दर ठीक से देखा और लहंगे को झाड़ा। फिर अपनी चूत को कच्छी के ऊपर से सहलाया और खुजाया। रामलाल को लगा की कहीं चींटा बहु की कच्छी के अन्दर तो नहीं घुस गया। बहुत किस्मत वाला चींटा होगा। बहु की इस फूली हुई चूत को चींटे की नहीं एक मोटे लम्बे लौड़े की ज़रूरत थी। ऐसी बातें सोच सोच कर और कच्छी के अन्दर कसी हुई बहु की चूत को देख देख कर रामलाल मुट्ठ मारने लगा और झड़ गया। थोड़ी देर में वो पम्प हाउस से बाहर निकला और कन्चन के पास गया। कन्चन उसके आने की आहट सुन कर अपना लहंगा ठीक करके बैठ गयी थी। दोनों ने पेड़ के नीचे बैठ कर खाना खाया और फिर घर चले गये।
एक दिन कन्चन की कमर में दर्द हो रहा था। सासु मां ने मालिश करने वाली को बुलाया। मालिश करने वाली का नाम कमला था और वो भी खेतों में ही काम करती थी। काफ़ी मोटी तगड़ी और काली कलूटी थी। बिल्कुल भैंस दिखाती थी। जब उसने कन्चन की मालिश की तो कन्चन को पता लगा की कमला के हाथ में तो जादू था। इतनी अच्छी तरह से मालिश हुई की कन्चन का दर्द एकदम दूर हो गया। सासु मां ने बताया की कमला गावं में सबसे अच्छी मालिश करती है।
हालांकि कमला भैंस की तरह मोटी थी और दिखने में अच्छी नहीं थी लेकिन स्वभाव की बहुत अच्छी और हंसमुख थी। कन्चन से उसकी बहुत जल्दी दोस्ती हो गयी।
कमला ने कन्चन से कहा, "बहु रानी आपको जब भी मालिश करवानी हो आप खेत में भी आ सकती हो। मैं वहीं काम करती हूं। वहां एक झोपड़ी है मैं आपकी मालिश कर दिया करुंगी।"
"ठीक है कमला मैं परसों आउंगी। तुम सारे बदन की मालिश कर देना।"
कमला ही रामलाल के लिये खेतों में काम करने वाली औरतों को पटा के लाया करती थी।
कन्चन अपने वादे के मुताबिक खेत में पहुंच गयी। कमला उसे एक घास फूस की छोटी सी झोपड़ी में ले गयी। झोपड़ी में दो कमरे थे। एक कमरे में एक चारपायी पड़ी हुई थी। कमला ने कन्चन से कहा, "बहु रानी इस चारपायी पे लेट जाओ। आज मैं आपकी अच्छी तरह मालिश कर दूंगी। मेरे जैसा मालिश करने वाला इस गावं में कोई नहीं है।"
"अरे कमला अपनी तारीफ़ ही करती रहेगी या मालिश करके भी दिखायेगी।"
"बहु रानी आप लेटो तो।" कन्चन चारपायी पर लेट गयी।
कमला ने सरसों का तेल निकाला और कन्चन से कहा, "बहु रानी, ये कपड़े पहनी रहोगी तो मालिश कैसे होगी?"
"हाय! कपड़े कैसे उतार दूं? कोई आ गया तो?"
"आप कहो तो कपड़ों के ऊपर ही तेल लगा दूं।"
"हट पागल। दरवाज़ा तो बन्द कर ले।"
"अरे बहु रानी आप डरो मत यहां कोई नहीं आता है।"
"नहीं, नहीं तू पहले दरवाज़ा बन्द कर।" कमला ने दरवाज़ा बन्द कर दिया।
"चलिये बहु रानी अब कपड़े तो उतार दीजिये, नहीं तो मालिश कैसे होगी?"
कन्चन उठ कर खड़ी हो गयी और शर्माते हुए अपना ब्लाउज उतार दिया। कन्चन की मोटी मोटी चूचिआं अब ब्रा में कैद थी।
कमला कन्चन के लहंगे का नाड़ा खींचती हुई बोली, "इसे भी तो उतार दीजिये।"
इससे पहले की कन्चन संभलती उसका लहंगा उसके पैरों में पड़ा हुआ था। अब कन्चन सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी। कन्चन के इस कदर खूबसूरत और मांसल जिस्म को देख कर कमला भी चकित रह गयी। क्या ज़बर्दस्त जवानी थी।
ये क्या किया तूने कमला?" कन्चन एक हाथ से अपनी चूचिआं और एक हाथ से अपनी चूत को ढकने की कोशिश करते हुए बोली।
"अरे बहु रानी आप तो ऐसे शर्मा रही हो जैसे किसी मर्द के सामने कपड़े उतारे हों। जिस चीज़ को ढकने की कोशिश वो तो पहले से ही आपकी ब्रा और कच्छी में ढकी हुई है। शर्माओ नहीं बहु रानी मेरे पास भी वही है जो आपके पास है। चलो अब लेट जाओ।"
कन्चन पेट के बल चारपायी पे लेट गयी। कमला ने उसकी मालिश शुरु कर दी। बहुत ही अच्छी तरह से मालिश करती थी। कन्चन को धीरे धीरे एक नशा सा आने लगा। उसे बहुत मज़ा आ रहा था।
कमला ने पहले उसकी पीठ की मालिश की। कभी साईड से हाथ डाल कर ब्रा के अन्दर से उसकी चूचिओं को भी हल्के से मसल देती और कन्चन की सिसकी निकल जाती। फिर कमला ने कन्चन की ब्रा का हुक पीछे से खोल दिया।
"ये क्या कर रही है कमला?"कन्चन ने बनावटी गुस्से में कहा।
"कुछ नहीं बहु रानी, पीठ पे मालिश ठीक से नहीं हो पा रही थी इसलिये खोल दिया।" कन्चन को मालिश करवाने में बहुत मज़ा आ रहा था। अब कमला ने कन्चन की टांगों की मालिश भी शुरु कर दी। मालिश करते करते जांघों तक पहुंच गयी। कन्चन की टांगें अपने आप ही खुल गयी। कमला को अब कन्चन की मांसल जांघों के बीच में कच्छी के अन्दर कसी हुई चूत नज़र आ रही थी। इतनी फूली हुई चूत तो आज तक उसने नहीं देखी थी। कच्छी के दोनों ओर से लम्बे लम्बे काले बाल झांक रहे थे। कमला ने कन्चन की चूत के बिल्कुल नज़दीक मालिश करानी शुरु कर दी। अब तो कन्चन उत्तेजित होती जा रही थी। एक बार तो कमला ने शरारत करते हुए कच्छी से बाहर निकले हुए बालों को खींच दिया।
"ऊइइइ। क्या कर रही है कमला?"
"कुछ नहीं बहु रानी, आपके बाल हैं ही इतने लम्बे। मालिश करते पे खींच गये।"
"तू बहुत खराब है कमला!"
"वैसे बहु रानी टांगों के बीच के बाल औरत की खूबसूरती पे चार चान्द लगा देते हैं। मर्द लोग तो इनके पीछे पागल हो जाते हैं।"
"अच्छा! तू तो ऐसे बोल रही है जैसे बहुत सारे मर्दों को जानती है।"
"बहुत सारे मर्दों को तो नहीं पर कुछ असली मर्दों को ज़रूर जानती हूं।"
"क्यों मर्द नकली भी होते हैं क्या? असली मर्द का क्या मतलब?"
"असली मर्द वो होता है बहु रानी जिसके अन्दर औरत को तृप्त करने की शक्ति होती है। उनमें से एक मर्द तो आपके ससुर जी ही हैं।" ये सुन कर तो मानो कन्चन को झटका सा लगा।
"तुझे मालूम है तू क्या कह रही है? पागल तो नहीं हो गयी है?"
कमला कन्चन की चूत के एकदम पास मालिश करती हुई बोली, "बहु रानी, मैं गलत क्यों बोलूंगी? सचमुच आपके ससुर जी सच्चे मर्द हैं। बिल्कुल गधे के जैसा है उनका।"
"क्या मतलब? क्या गधे के जैसा है?"
"हां बहु रानी अब ये भी बताना पड़ेगा? अरे! आपके ससुर जी का लंड बिल्कुल गधे के लंड के माफ़िक लम्बा है।" कमला मालिश करते हुए पैंटी के साईड से उन्गलियां अन्दर डाल कर कन्चन की चूत की एक फांक को मसलते हुए बोली। कन्चन की चूत तो अब गीली होने लगी थी।
"आआआअह! ये क्या कर रही है ? ऐसे गन्दे शब्द बोलते तुझे शरम नहीं आती ?"
"इसमें गन्दा क्या है बहु रानी? मर्द की टांगों के बीच में जो लटकता है उसे लंड नहीं तो और क्या कहते हैं?"
"अच्छा, अच्छा! लेकिन तुझे कैसे मालूम की उनका इतना बड़ा है?"
"क्या कितना बड़ा है बहु?" कमला कन्चन को छेड़ते हुए बोली।
"ओफ़्फ़ो! लंड और क्या?"
"हां अब हुई ना बात। ये तो राज़ की बात है। आपको कैसे बता सकती हूं?"
"तुझे मेरी कसम बता ना।"
"ठीक है बता दूंगी लेकिन आप फिर कहोगी कैसी गन्दी बात कर रही हो।"
"नहीं कहूंगी। अब जल्दी बता ना।" कन्चन की चूत पे चीटियां रेंगने लगी थी।
"अच्छा बताती हूं। आप ज़रा अपनी कच्छी तो नीचे करो, आपके नितम्बों की मालिश कैसे करुंगी?" ये कहते हुए कमला ने कन्चन की पैंटी नीचे सरका दी। कन्चन के कुछ कहने से पहले ही उसकी पैंटी अब उसके घुटनों तक सरक गयी थी और कमला ने ढेर सारा तेल कन्चन के चूतड़ों पे डाल दिया था। कन्चन के विशाल नितम्बों को काफ़ी तेल की ज़रूरत थी। तेल गोल गोल चूतड़ों पे से बह कर उनके बीच की दरार में से होता हुआ कन्चन की चूत तक आ गया। चूत के बाल तेल में भीग गये।
"ऊओफ ये क्या कर रही है? मेरी कच्छी ऊपर कर।"
"ऊपर करुंगी तो आपकी कच्छी तेल से खराब हो जाएगी, इसको निकाल ही दो।" यह कहते हुए कमला ने एक झटके में कन्चन की पैंटी उसके पैरों से निकाल दी।
"कमला तूने तो मुझे बिल्कुल ही नंगी कर दिया। कोई आ गया तो क्या होगा?"
"यहां कोई नहीं आएगा बहु रानी। जब आप एक मर्द के सामने नंगी हो सकती हो तो एक औरत के सामने नंगी होने में कैसी शरम?"
"हां कमला मैं किस मर्द के सामने नंगी हुई?"
"क्यों आपके पति ने आपको कभी नंगी नहीं किया?"
"ओह! वो तो दूसरी बात है। पति को तो अपनी बीवी को नंगी करने का हक है।"
"मैं भी तो आपको सिर्फ़ मालिश करने के लिये नंगी कर रही हूं। अब देखना मैं आपकी मालिश कितनी अच्छी तरह से करती हूं। पूरी ज़िन्दगी की थकान दूर हो जाएगी।" अब कमला दोनों हाथों से कन्चन के विशाल चूतड़ों पर मालिश करने लगी। बीच बीच में दोनों चूतड़ों को फैला कर उनके बीच की दरार को भी उंगली से रगड़ देती। ऐसा करते हुए उसकी उंगली कन्चन की गांड के छेद पे भी कई बार रगड़ जाती। जब भी ऐसा होता कन्चन के मुंह से ’आह.. ओह..आअ की आवाज़ें निकल जाती। कन्चन ने टांगें और चौड़ी कर दी थी ताकि कमला ठीक से टांगों के बीच में मालिश कर सके।
"कमला बता ना तू ससुर जी के बारे में क्या कह रही थी?"
"बहु रानी मैं कह रही थी कि आपके ससुर जी का लंड भी गधे के जैसा है। क्या फौलादी लंड है। इतना लम्बा है की दोनों हाथों में भी नहीं आता।"
"ये सब तुझे कैसे पता?"
"मैनें आपके ससुर जी की भी मालिश की है। और खास कर उनके लंड की। सच बहु रानी इतना मोटा और लम्बा लंड मैने कभी नहीं देखा। विश्वास नहीं होता तो खेत में काम करने वाली औरतों से पूछ लो।"
"क्या मतलब है तेरा? खेत में काम करने वाली औरतों को कैसे पता?"
"आप तो बहुत भोली हो बहु रानी। जवानी में आपके ससुर जी ने खेत में काम करने वाली सभी औरतों को चोदा है। जो औरत उन्हें पसन्द आ जाती थी उसे पटा के बाबू जी के पास ले जाना मेरा काम था। दो तीन औरतें तो इतना बड़ा लंड सहन ही नहीं कर सकी और बेहोश हो गयी थी। उनमें से एक तो बाबू जी की साली भी थी।"
"साली को भी...?" कन्चन चौंक के बोली।
"हां बहु रानी बाबू जी ने साली को भी चोदा। १७ साल की लड़की थी। कौलेज में पढ़ती थी। जब बाबु जी ने पहली बार चोदा तो कुंवारी थी। ऊफ ! कितना खून निकला था बेचारी की कुंवारी चूत में से। इतना लम्बा लौड़ा सहन नहीं कर सकी और बेहोश हो गयी थी। अच्छा हुआ बेहोश हो गयी नहीं तो इतना खून देख कर डर जाती। बाबू जी भी डर गये थे। फिर मैंने ही उसकी चूत की सफ़ाई की। बेचारी एक हफ़्ते तक टांगें चौड़ी कर के चलती रही और फिर शहर चली गयी।" कमला भी मज़े ले कर कहानी सुना रही थी। अब उसने कन्चन के चूतड़ों के बीच में से हाथ डाल कर चूत के चारों ओर के बालों में तेल मलना शुरु कर दिया था। एक बार तो चूत को मुट्ठी में ले कर मसल दिया।
"ऊइइइइइइइइआआह्ह्ह्ह,...। इइइस्स्स्स क्या कर रही है कमला? आगे बता ना क्या हुआ? साली नाराज़ हो गई?"
"अरे नहीं। एक बार जिस औरत को मर्द के लम्बे मोटे लौड़े का स्वाद मिल जाता है वो फिर उसके बिना नहीं रह सकती। साली भी कुछ दिन के बाद वापस आ गयी। इस बार तो सिर्फ़ चुदवाने ही आयी थी। उसके बाद तो आपके ससुर जी ने साली जी को रोज़ इसी पम्प हाउस में खूब जम के चोदा। मैं रोज़ आपके ससुर जी के लौड़े की मालिश करके उसे चुदाई के लिये तैयार करती थी। चुदाई के बाद साली जी की सूजी हुई चूत की भी मालिश करके उसे अगले दिन की चुदाई के लिये तैयार करती थी। साली की शादी होने तक बाबू जी ने उसे खूब चोदा। शादी के बाद भी साली जी चुदवाने के लिये आई थी। शायद उनका पति उन्हें तृप्त नहीं कर पता था। लेकिन जब से वो दुबई चली गयी बाबू जी को कोई अच्छी लड़की नहीं मिली।"
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